-2 वर्ष से कम आयु के शिशु के अधिक पीड़ित होने की संभावना।
-एनीमिया के लक्षणों की नहीं करें अनदेखी।
#MNN@24X7 मधुबनी, 7 मई, थैलेसीमिया एक रक्त जनित रोग है जो मानव शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है और हीमोग्लोबिन द्वारा ही पूरी शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुँचाने का काम होता है। हीमोग्लोबिन का कम स्तर शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन की कमी करता है। इससे ग्रसित व्यक्ति के शरीर में रक्ताल्पता या एनीमिया की शिकायत हो जाती है। शरीर का पीलापन, थकावट एवं कमजोरी का एहसास होना इसके प्राथमिक लक्षण होते हैं। तुरंत उपचार ना होने पर थैलेसीमिया के मरीज के शरीर में खून के थक्के जमा होने लगते हैं। थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ विनोद कुमार झा ने बताया थैलिसिमिया एक गंभीर रोग है जो वंशानुगत बीमारियों की सूची में शामिल है. इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है. थैलेसीमिया 2 वर्ष से कम आयु के शिशु के अधिक पीड़ित होने की संभावना रहती है वर्तमान में मधुबनी जिले में थैलेसीमिया से ग्रस्त 18 मरीज हैं जो नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूज़न पर हैं। इस वर्ष विश्व थैलेसीमिया दिवस की थीम है ” जागरूक रहें। साझा करें। देखभाल: थैलेसीमिया केयर गैप को पाटने के लिए शिक्षा को मजबूत बनाना “रखा गया है.
लक्षण- थैलेसीमिया से ग्रसित शिशु या व्यक्ति में ये प्रारंभिक लक्षण नजर आते हैं-
•शरीर एवं आँखों का पीलापन
•पीलिया से ग्रसित होना
•स्वभाव में चिडचिडापन
•भूख न लगना
•थकावट एवं कमजोरी का महसूस होना
•बार-बार बीमारी होना
•सर्दी, जुकाम बने रहना
•कमजोरी और उदासी रहना
•आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना
•सांस लेने में तकलीफ होना
कैसे करें थैलेसीमिया से बचाव:
*विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं
*गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं
*मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें
*समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें।
सदर अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. खुशबू कुमारी बताती हैं पति- पत्नी को शिशु के बारे में सोचने के समय रक्त जांच करवाना चाहिए जिससे आने वाले समय में किसी भी तरह की जटिलता से बचा जा सके. अगर एनीमिया के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें व नजरअंदाज बिलकुल न करें. साथ ही अगर किसी गर्भवती स्त्री में मधुमेह के लक्षण हों तो उन्हें और सतर्कता बरतनी चाहिए और नियमित जांच करानी चाहिए.