लॉ कॉलेज, डिस्टेंस, व वाणिज्य विभाग डीन के अवैध बहाली को छुपाने में लगी है वि वि प्रशासन।
बिहार सरकार के आदेश के बाद भी महाविद्यालय छात्राओं से ले रहे है नामांकन शुल्क
#MNN@24X7 दरभंगा 14 नवंबर, ललित नारायण मिथिला वि वि में नैक की तैयारी अंतिम चरण में है। लेकिन वि वि प्रशासन छात्र- छात्राओं के सवाल के प्रति गंभीर नही है। जिसके कारण छात्र-छात्राओं में काफी आक्रोश है।
उक्त बातें आइसा के जिला सचिव मयंक कुमार यादव, जिला अध्यक्ष शम्स तबरेज और राज्य सह सचिव प्रिंस राज ने एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की पिछले दिनों पूर्व कुलसचिव और वर्तमान कुलपति की जोड़ी ने वि वि में अवैध काम कर करोड़ो की संपति हासिल कर लिए है। लेकिन कोई देखने और बोलने वाला नही है। तीन साल में इन्होंने वि वि का बुरा हाल कर दिया है।
सीएम लॉ कॉलेज में नियम के विपरित प्रभारी प्रधानाचार्य को बैठा दिया गया है। और प्रधानाचार्य व पूर्व कुलसचिव के द्वारा बीसीआई को गलत एफिडिविट देकर गुमराह करने का काम किया है। जिसके कारण आज तक लॉ कॉलेज में नामांकन बंद है।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को चालू होने को लेकर वि वि गंभीर नही है। साथ ही साथ अगर वो बंद हो रहा है तो वहा के कर्मचारी को कैसे वि वि में लाया जाए इसको लेकर भी वि वि गंभीर नही है। दूरस्थ शिक्षा के पूर्व निदेशक की गलती के चलते आज डिस्टेंस का यह हाल बना हुआ है।
वाणिज्य संकाय डीन की अवैध नियुक्ति वाणिज्य संकाय के डीन की नियुक्ति अवैध तरीके से कर दी गई है। पूर्व कुलसचिव के चहेते प्रधानाचार्य रहने के कारण नियम कानून को ताक पर रखकर अवैध प्रमोशन लेने वाले को डीन बना दिया है। जिसके खिलाफ मिथिला से लेकर बिहार वि वि तक मामला चल रहा है। लेकिन वि वि उनपर करवाई करने से भाग रही है।
स्नातक-स्नातकोत्तर में छात्राओं-एस सी एस टी छात्रों से लिए जा रहे शुल्क।
बिहार सरकार द्वारा यूजी से पीजी तक सभी छात्राओं और एस सी एस टी छात्रों के लिए निशुल्क नामांकन की घोषणा की गई है। लेकिन मिथिला वि वि के सभी कॉलेज में नामांकन के नाम पर पैसा लिया का रहा हैं। सरकार के आदेश का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। पूर्व कुल सचिव ने अपने कार्यकाल में एक पत्र निकला कर फीस लेने से मना किया था लेकिन वर्तमान में सीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य होने के बाबजूद भी वहा पैसा लिया जाता है। जबकि सरकार के द्वारा भी नामांकन के अनुपात में कॉलेज व वि वि को पैसा दिया जाता है।
छात्र-छात्राओं की उपस्थिति का सवाल बिहार सरकार ने बिना महाविद्यालय और वि वि विभागो का निरीक्षण किए बिना ही 3 दिनों तक कॉलेज नही आने वाले छात्रों को शो कौज करते हुए नाम काटने का आदेश दे दिया गया है। जिस पर वि वि व महाविद्यालय अमल कर रहा है। लेकिन वि वि के पीजी विभागो की क्या हालत है यह किसी से छुपा हुआ नही हैं। क्लास रूम नही रहने के कारण बिना सिलेबस खत्म किए परीक्षा की घंटी बज जाती है। छात्र-छात्रा परेशान हो जाते है। आज जरूरत है की पहले किसी एक कॉलेज/ विभाग में आधारभूत संरचना कितन दुरुस्त है इसका जांच पड़ताल किया जाना चाहिए। तब उक्त नियम को लागू करने से कुछ फायदा हो सकता है।
परीक्षा विभाग में धांधली
परीक्षा विभाग में धांधली चरम पर है। दलाल तंत्र परीक्षा विभाग पर हावी है। और दलालों को वि वि प्रशासन सारक्षण देने का काम कर रहा है। मूल प्रमाण निकलने के लिए वि वि द्वारा एक 5 रुपया वाला फॉर्म भरकर उसके साथ डॉक्यूमेंट लगाकर काउंटर पर जमा किया जाता हैं और चालान कटवाया जाता है। लेकिन उसके बाद फॉर्म कहा चला जाता है यह वि वि के अधिकारी को भी पता नही चलता है। छात्र-छात्राओं को परेशान करने के लिए पुन मार्कशीट का फोटोकॉपी और रसीद का फोटो कॉपी लगाकर पुन जमा करवाया जाता है। प्रोविजनल, मार्कशीट उपलब्ध करवाने का वही हाल बना हुआ है।
आइसा नेताओ ने कहा है की इस सभी सवालों पर वि वि को ध्यान देना चाहिए और इसे हल करने के लिए छात्र संगठनों से सहयोग लेकर कैसे वि वि को उन्नत बनाया जाय और कैसे वि वि को नैक से अच्छा ग्रेड मिले इसको लेकर सभी को चिंतित होने की जरूरत है। और वि वि की स्वय्यता कैसे बचे इसको लेकर नैक की टीम आने से पहले छात्र संगठन के साथ बैठक कर विचार विमर्श करना चाहिए।