निर्धारित समय में गत वर्षों के प्रश्नोत्तर लिखने का अभ्यास, नोट्स का रिवीजन, सुन्दर एवं पठनीय लिखावट ही परीक्षा में दिलाएंगे उच्चतम अंक।
#MNN@24X7 दरभंगा, विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने परीक्षार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में स्नातक, सत्र 2022- 25 के संस्कृत प्रतिष्ठा प्रथम वर्ष की परीक्षा चालू अगस्त माह के 7 एवं 10 तारीख को निर्धारित है। संस्कृत प्रतिष्ठा में 100- 100 अंकों के दो पत्र होते हैं। प्रथम पत्र के खण्ड ‘क’ के निर्धारित सिलेबस में 50 अंकों के ‘संस्कृत साहित्य का इतिहास’ के अंतर्गत चारों वेदों के महत्व, वर्ण्य विषय तथा काल- निर्धारण, ब्राह्मण, आरण्यक तथा उपनिषदों की महत्ता एवं उसके विषय वस्तु, रामायण और महाभारत की महत्ता, काल- निर्धारण एवं वर्ण्य विषय तथा दोनों के पौर्वापर्य, महाकाव्य, गद्यकाव्य, नाटक तथा गीतिकाव्य के महत्व, विशेषताएं, प्रमुख रचनाएं, उनके उद्भव एवं विकास आदि से संबंधित ही प्रश्न पूछे जाते हैं। वहीं खण्ड ‘ख’ में निर्धारित 50 अंकों के “लघु सिद्धांत कौमुदी” से संज्ञा प्रकरण, अच् सन्धि (प्रकृति उद्भाव को छोड़कर), हल संधि (रूप प्रकरण को छोड़कर) तथा उसके सन्धि प्रकरण प्रमुखता से पढ़ें तो परीक्षा में अधिकतम अंक पाना संभव है। व्याकरण के सूत्रों एवं नियमों को याद रखते हुए उनके सटीक प्रयोग, सम्पूर्ण मूल पुस्तकों के साथ ही भूमिका भाग का विशेष अध्ययन, निर्धारित पुस्तकों के प्रारंभिक श्लोकों के हिन्दी अनुवाद तथा व्याख्या की विशेष तैयारी परीक्षा के लिए अनिवार्य है।संस्कृत प्रतिष्ठा के द्वितीय पत्र में निर्धारित कालिदास के ‘पूर्वमेघ’ से प्रारंभिक 25 श्लोक पर्यंत, भारवि के ‘किरातार्जुनीयम्’ के द्वितीय सर्ग तथा गीता के 12 वें अध्याय के साथ ही कान्तिचन्द्र भट्टाचार्य की ‘काव्यदीपिका’ का विशेष अध्ययन आवश्यक है।
संस्कृत- प्राध्यापक डा चौरसिया ने बताया कि संस्कृत अधिकतम अंक देने वाला विषयों में आता है, जिसके लिए बेहतरीन अध्ययन के साथ ही उसे अच्छे से समझना, लिखने का अभ्यास करना तथा याद करना आवश्यक है। परीक्षा में अच्छे से प्रश्नोत्तरी कर गणित की तरह ही शत- प्रतिशत या उसके पास का अंक प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि संस्कृत शास्त्रीय भाषा है, इसलिए इसमें विशेषज्ञता प्राप्ति के लिए अच्छे शिक्षकों का सानिध्य एवं मार्गदर्शन आवश्यक है। संस्कृत भाषा कामधेनु के समान है, जिसके अध्ययन- अध्यापन से सभी वांछित मनोकामनाओं की पूर्ति होना संभव है।
डा चौरसिया ने इस परीक्षा के लिए परीक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में पूरे सिलेबस का मूल पुस्तकों से पूर्ण एवं नियमित अध्ययन के साथ ही चिन्तन-मनन से अधिकतम अंकों की प्राप्ति संभव है। चूंकि अब परीक्षा में समय कम है, इसलिए तैयार नोट्स का रिवीजन, निर्धारित समय में गत वर्षों के प्रश्नोत्तरों को लिखने का अभ्यास, सुंदर एवं पठनीय लिखावट ही अधिकतम अंक दिला सकता है। उन्होंने कहा कि जिन प्रश्नों के उत्तर अच्छे से आते हों, उसका उत्तर सबसे पहले लिखें। परीक्षा में उत्तर देने के लिए पर्याप्त विकल्प दिए जाते हैं, इसलिए परीक्षार्थी सभी प्रश्नों के अवश्य उत्तर दें।