#MNN@24X7 दरभंगा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग द्वारा शोध पर्यवेक्षक के दायित्व :समस्या एवं समाधान विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रो दमन कुमार झा ने की। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा स्थित किसी भी विभाग के द्वारा किया गया इस प्रकार का यह पहला आयोजन था ।
आरम्भ में मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा ने शोध पर्यवेक्षक के रूप में विभिन्न महाविद्यालय से आये शिक्षकों का स्वागत किया और आज के इस कार्यशाला के उदेश्य और आवश्यकता के विषय में जानकारी दी ।
उन्होंने कहा कि अब परम्परागत रूप से पी-एच.डी. शोध प्रबंध लिखने और जमा करने से वह उपाधि के हकदार नहीं हो सकते, अब पी-एच. डी. का नियम परिनियम में संशोधन किया गया है, उस आधार पर शोध प्रबंध तैयार करने पर ही विभागीय स्तर से अग्रसारित किया जायेगा. अब शोधप्रज्ञ नियमित रूप से छमाही प्रगति प्रतिवेदन अर्थात उस अवधि में किये गए कार्यो को अपने शोध पर्यवेक्षक से अग्रसारित करबा कर विभाग को समर्पित करेंगे.अब नकल या कॉपी किया हुआ शोध प्रबंध जाँच के दायरे अर्थात एंटी प्लेगिरिज्म से छुप नहीं सकता है। इसलिए शोध पर्यवेक्षक को इस पर भी ध्यान देना होगा।उन्होंने कहा की उन्हें अपने अपने शोध छात्रों के सम्पर्क में रहना होगा। उनके समस्याओ को सुलझाना एवं सही रास्ता दिखलाना एक सही शोध पर्यवेक्षक का काम है.
विभाग के वरीय शिक्षक प्रो अशोक कुमार मेहता ने सम्बोधित करते हुए कहा कि अब राजभवन द्वारा जारी पी-एच.डी रेगूलेशन 2017 के अनुरूप सभी शोधार्थी को शोध कार्य करना अनिवार्य है। शोध पर्यवेक्षक का दायित्व है कि अपने अधीनस्थ पंजीकृत शोधार्थी का प्रत्येक छ: महीने पर शोधकार्य प्रगति प्रतिवेदन विश्वविद्यालय विभाग में जमा कराते रहें।प्रो.मेहता ने यूनिवर्सिटी प्लेगरीज्म पोलिसी एंड रेगुलेशन -2018 के प्रावधान 6.4 के सम्बन्ध में विस्तार से बताया कि यदि शोध प्रबंध में प्लागीरिज्म जाँच के क्रम में समानता 10% से अधिक आता है तो उक्त पालिसी में लेवल वाइज पेनल्टीज है। 10% से 40% तक प्लागीरिज्म पाए जाने पर 3 महीने से 6 महीने तक शोध प्रबंध जमा नहीं करने दिया जायेगा वही 40%-60% तक पाए जाने पर एक साल तक का प्रतिबन्ध लगाया जायेगा. यदि किसी शोधार्थी का प्लागीरिज्म 60% से अधिक पाया जाता है तो उसका पंजीयन रद्द करने का प्रावधान है।
शोध पर्यवेक्षकों की ओर से प्रो नारायण झा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा की इस तरह के आयोजन से न केवल आपस में मुलाक़ात होती है अपितु सार्थक जानकारी भी प्राप्त होती है। इस आयोजन के लिए उन्होंने माननीय कुलपति महोदय एवं विभाग के प्रति आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर विभाग के निवर्तमान अध्यक्ष प्रो रमेश झा, प्रो अरुण कुमार कर्ण, डॉ अरविन्द कुमार सिंह झा, डॉ अजीत मिश्र, डॉ मनोज साह, डॉ अरुण कुमार ठाकुर, डॉ स्वीटी कुमारी, डॉ सुनीता झा, डॉ श्यामानन्द शांडिल्य, डॉ अरविन्द झा, डॉ सत्येंद्र कुमार झा, डॉ सुरेंद्र भारद्वाज, डॉ सुरेश पासवान, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ अभिलाषा कुमारी, डॉ शान्ति नाथ सिंह ठाकुर,डॉ राज कुमार राय,डॉ संजय कुमार पासवान,डॉ उमाकांत झा आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में मैथिली साहित्य के समीक्षक, कथाकार, अनुवादक, संपादक एवं अंग्रेजी साहित्य के विद्वान प्रो ललितेश मिश्र के असामयिक निधन पर दो मिनट का मौन रखा गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो अशोक कुमार मेहता ने किया।