#MNN@24X7 दरभंगा। गौरतलब है कि पुनः एक बार बीपीएससी ने अष्टम अनुसूची में संवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषा मैथिली के साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार किया है और मैथिली भाषा को बीपीएससी से बाहर कर दिया है।
सरकार के इस नीति पर मिथिला स्टूडेंट यूनियन कार्यालय से प्रेस रिलीज जारी करते हुए जिला सचिव प्रवीण कुमार झा ने कहा कि एक बार फिर यह साबित हो गया कि बिहार सरकार मैथिली भाषा को लेकर ना गंभीर है बल्कि उसे खत्म करने को लेकर साजिश रच रही है। 8 करोड़ से अधिक मैथिली भाषी को झटका देते हुए बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
सरकार ने बीपीएससी परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव किया है। जिसके अनुसार अब मैथिली पढ़कर कोई भी छात्र अधिकारी नहीं बन पाएंगे। आसान शब्दों में कहा जाए तो बीपीसीसी मैथिली भाषा को बाहर कर दिया गया है। मैथिली बिहार की एक मात्र भाषा है जिसे संविधान के आठवीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त है।
मिथिला के लोग आरंभ से ही मैथिली को प्रारंभिक शिक्षा में जगह देने की मांग करते रहे हैं। इस मांग पर अमल करने के बदले नीतीश सरकार ने बीपीएससी में शामिल मैथिली भाषा को ही अलग-थलग करने का निर्णय लिया है। सरकार की यह नीति अत्यंत निंदनीय है। आठ करोड़ मैथिली भाषी का अपमान है। निश्चित ही बिहार सरकार के इस निर्णय का जोरदार विरोध होगा और आने वाले दिनों में चरणबद्ध आंदोलन भी किया जाएगा, ऐसा निर्णय लिया गया है।
मौके पर प्रियरंजन झा, सौरभ सिंह, त्रिभुवन पांडे, जीशान, ऋतुराज, राजन राम इत्यादि के साथ ही अनेकों मिथिला मैथिली प्रेमी भी उपस्थित थे।