#MNN@24X7 दरभंगा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा की अध्यक्षता में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि 4 जून को मैथिली के मूर्द्धन्य साहित्यकार एवं प्रख्यात प्राचार्य प्रो. यशोदानाथ झा का निधन हो गया था।
विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि मृत्यु अटल है। हम सभी को एक दिन इस धरा से जाना ही है। यशोदा बाबू अपने जीवन काल में मैथिली साहित्य के भंडार को काफी समृद्ध किया। करीब एक दर्जन से अधिक रचनाएं की, जिसमें प्रमुख है -‘यात्री-काव्य-विवेचन’, ‘जुआन चीत्कार , ‘गाम बजइए नाम’, ‘सरिसब पाही परिसरक साहित्य साधना’,’विभिन्न कला ओ कलाकारक गाम सरिसब पाही’,मैथिल-ब्राह्मण-समाजक सांस्कृतिक मरौसी एवं मैथिल कुकाव्य’, मनमोहन झा (विनिबन्ध) आदि। यात्री जी पर केन्द्रित ‘यात्री काव्य विवेचन’ आज भी शोध के एक मानक स्वरूप को दर्शाता है। उनका जाना वास्तव में दुःखद है।
अपने संबोधन में डाॅ. सुरेश पासवान ने कहा कि एक सफल शिक्षक में जो गुण होने चाहिए, उन सभी गुणों से यशोदा बाबू परिपूर्ण थे। मैथिली, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ थी। मैथिली के विलुप्त शब्दावली के वे शब्दकोश माने जाते थे।
सी एम कालेज के प्राध्यापक डाॅ. सुरेन्द्र भारद्वाज उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि वे सहज-सरल जीवन के पर्याय थे। छात्र एवं शिक्षकों के मध्य बढ़ती दूरियों को पाटने में वे हमेशा प्रयत्नशील रहे। शोक सभा में डाॅ. अभिलाषा, डाॅ. सुनीता कुमारी, प्रमोद कुमार पासवान, विभाग के शिक्षकेत्तर कर्मचारी,कनीय एवं वरीय शओधप्रज्ञ सहित विभाग में कोर्सवर्क कर रहे सभी शोधार्थी उपस्थित थे। सबों ने दिवंगत आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखा और परिवार को धैर्य रखने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की।