सीएम लॉ कॉलेज, दरभंगा स्थित बड़गद के विशाल पेड़ की मोटी मोटी हरीभरी टहनी को इस भीषण गर्मी में काट कर बना दिया गया ठूठर। इसी जगह पर नामांकन और परिक्षा के लिए आने वाले छात्र धूप से बचने के लिए यहां सुस्ताते भी थे। मगर वहीं इस पेड़ को सौंदर्यीकरण और सुरक्षा के नाम पर बुरी तरह से कांट छांट दिया गया है। ये सब देखकर तो अब यही लगता है कि पर्यावरण संबंधित सभी नारे बस सामान्य नागरिकों को ही समझने चाहिएं।

(पर्यावरण पर नारे
पर्यावरण है हम सबकी जान, इसलिए करो इसका सम्मान।
प्रकृति का मत करो शोषण, सब मिलकर बचाओ पर्यावरण।
पशु-पक्षी हैं धरती की शान, और पेड़ हैं धरती की जान।
पेड़-पौधे हैं मानव के लिए वरदान, मत करो इनका अपमान।
हर बच्चे को सिखाओ पर्यावरण की रक्षा का सबक।
पर्यावरण पर है सबका हक, इसलिए इसकी रक्षा भी है सबका कर्तव्य।)


जी हाँ गौर से देखा जाए तो यह तस्वीर बिहार सरकार कि अहम कल्याणकारी योजना जल जीवन हरियाली को बहुत पीछे की ओर धक्का मारता हुआ दिख रहा है। पूरा मामला दरभंगा सीएम लॉ कॉलेज का है जहां 18 जुलाई को सीएम लॉ कॉलेज में वर्षो पुराना बड़गद के पेड़ की मोटी मोटी हरीभरी टहनियों को काटकर ठूठर जैसा बना दिया गया है। इस कार्यवाही से एक तरफ जहां इस वृक्ष के नीचे बैठने वाले लोगों को पेड़ की छांव से वंचित किया गया तो दूसरी ओर, इस समय बिहार सरकार जल जीवन हरियाली के माध्यम से पर्यावरण को शुद्ध रखने का प्रयास भी कर रही है। अब इस परिस्थिति में सीएम लॉ कॉलेज में हरे भरे पेड़ को कहीं न कहीं पर्यावरण प्रदूषण को निमंत्रण दिया जा रहा है!

इस विषय पर जब संबंधित कालेज अधिकारी से पूछा गया कि जहां सरकार जल जीवन हरियाली के तहत अधिक से अधिक पेड़ लगाने का प्रयास कर रही है, और अधिक से अधिक पेड़ लगाने वाले को सम्मानित भी कर रही है। फिर आप इस कड़ी में वृक्ष के हरे-भरे मोटे-मोटे टहनियों को क्यों काट कर ठूठ बना रहे हैं। इसका जबाव बहुत ही रोचक तरीके से देते हुए सहायक प्रधानाचार्य ने कहा कि कॉलेज को खूबसूरत बनाने के लिए टहनियों को काटा गया है!

मीडियाकर्मी ने पूछा कि क्या इतनी बड़ी विशाल पेड़ को टहनी के काटने की क्या आवश्यकता पड़ी तो कॉलेज प्रशासन ने निराधार कारण बताते हुए कहा कि पेड़ की टहनी बहुत बड़ी हो चुकी थी जो खतरा का कारण बन सकता था लेकिन प्रथम दृष्टया में ऐसा कुछ भी प्रतीत नहीं हुआ कि पेड़ की टहनी टूटने वाली थी । यदि ऐसा भी था तो कोई एक टहनी को काटना चाहिए सभी को नहीं जबकि पेड़ के 80% मोटी मोटी हरी भरी टहनी को काटकर पर्यावरण के प्रति क्रूरता दिखाने का यह प्रयास नहीं तो और क्या है । लेकिन कॉलेज प्रशासन अपना अलग ही राग अलापने में व्यस्त दिखा।