मानवता की मुक्ति सत्य का रास्ता अपनाने से ही है – प्रोफेसर मरगुब आलम।

गांधीवाद सामाजिक न्याय का दर्शन है-डॉ घनश्याम राय।

#MNN@24X7 पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया के तत्वावधान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन विश्वविद्यालय मुख्यालय में मनाई गई। इस अवसर पर “गांधी जी के दर्शन की प्रासंगिकता वर्तमान संदर्भ में” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई।

सर्वप्रथम कुलसचिव डॉ घनश्याम राय द्वारा रविवार को सवेरे दस बजे पूर्णिया कॉलेज में स्थित बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर पूर्णिया कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ मोहम्मद कमाल,एन एस एस के समन्वयक डॉ आर डी पासवान, डॉ डी एन यादव, डॉ अभिषेक आनंद,नवनीत कुमार,एन एस एस के स्वयंसेवक आदि उपस्थित थे।

विश्वविद्यालय मुख्यालय में स्थित सीनेट हॉल में ग्यारह बजे से परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा की अध्यक्षता अध्यक्ष, छात्र कल्याण सह प्रभारी कुलपति प्रोफेसर मरगुब आलम ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बापू और शास्त्री जी के जन्म जयंती पर श्रद्वासुमन अर्पित करते हुए कहा कि बापू के विचार आज भी प्रासंगिक है और चीरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री बापू के विचारधारा के प्रबल समर्थक थे। शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री के रूप में जो सादगी और स्वच्छता का मिसाल पेश किया, वह बापू के विचारधारा की देन है।

कुलसचिव डॉ घनश्याम राय ने स्वागत भाषण सह मंच का संचालन करते हुए कहा कि 21वीं सदी में सामाजिक न्याय की प्रासंगिकता बढ़ी है। गांधीवाद सामाजिक न्याय का दर्शन है। गांधीजी न्याय मुक्त शोषणविहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे, जो आज के लोकतांत्रिक समाजों का परम लक्ष्य है। जाति प्रथा को सामाजिक दास्ता का प्रतीक मानकर उन्होंने इसके विरुद्ध जन आंदोलन खड़ा करने का प्रयास किया। उन्होंने अछूतों को उद्धार करने के लिए अनेकों कार्यक्रम चलाएं। गांधीवादी विचार व्यापक रूप से प्राचीन भारतीय दर्शन से प्रेरणा पाते हैं। इन विचारों की प्रासंगिकता अभी भी बरकरार है।

डॉ राय ने कहा कि आज के दौर में जब समाज में कल्याणकारी आदर्शों का स्थान असत्य, अवसरवाद, धोखा, चलाकी, लालच, स्वार्थपरता आदि जैसे संकीर्ण विचारों द्वारा लिया जा रहा है, मानवीय मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठित करने और विश्व शांति की पुर्नस्थापना के लिए गांधीवाद कहीं अधिक प्रासंगिक हो उठा है। गांधीजी छुआछूत उन्मूलन,हिन्दू मुस्लिम एकता,चरखा और खादी को बढ़ावा, ग्राम स्वराज का प्रसार, प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा और परंपरागत चिकित्सीय ज्ञान के उपयोग सहित तमाम उद्देश्यों पर कार्य निरंतर जारी रखा।सत्य की सदा विजयी होती है और सही रास्ता सत्य का रास्ता है। आज मानवता की मुक्ति सत्य का रास्ता अपनाने से ही है।

पूर्णिया कॉलेज के प्राचार्य डॉ मोहम्मद कमाल ने कहा कि गांधी का दर्शन संपूर्ण विश्व के लिए प्रासंगिक है। ‘ *वसुधैव* *कुटुम्बकम’* की अवधारणा का यही भावार्थ है। गांधी के सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय, स्वराज के विचार को अपनाकर हीं विश्व में शांति व्यवस्था स्थापित की जा सकती है।

सामाजिक कार्यकर्ता सह छात्र नेता डॉ आलोक रंजन ने कहा कि पूर्णिया विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद पहलीबार बापू और शास्त्री जी की जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति आभार और धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कहा कि भविष्य में भी इसतरह के कार्यक्रम आयोजित होते रहना चाहिए। डॉ राज ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना में उनकी भूमिका प्रमुख रही है। इसीलिए सबसे ज्यादा ममत्व और दर्द रहेगा।

शिक्षकेत्तर कर्मचारी शियाराम मंडल ने कहा कि बापू की प्रासंगिकता सदा बनी रहेगी। जबतक समाज में अश्पृश्यता है, बापू की महत्ता बरकरार है।

एन एस एस के समन्वयक डॉ आर डी पासवान ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि समाज में जबतक जाति,टाइटिल, धर्म,जन्म के आधार पर पहचान कायम रहेगी तबतक बापू के विचार हमें इन कुरीतियों के खिलाफ लड़ने का प्रेरणा देते रहेंगे।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के पदाधिकारी प्रोफेसर डी के झा,डॉ एस एन सुमन, डॉ धनंजय यादव, डॉ अभिषेक आनंद, ज्ञानदीप गौतम, नवनीत कुमार, विभागाध्यक्ष डॉ बी एल विश्वास, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, एन सी सी के कैडेट्स,छात्र छात्राएं आदि उपस्थित थे।