महात्मा गांधी भारत ही नहीं विश्व के महान नेता, जिनके सिद्धांतों को मानव जीवन में अपनाने की जरूरत- प्रति कुलपति।

व्यावहारिकता व साधना के प्रतिमूर्ति महात्मा गांधी का दर्शन मानवता एवं मानवीय मूल्य आधारित- कुलसचिव।

कार्यक्रम में प्रति कुलपति व कुलसचिव के साथ ही प्रो जितेन्द्र नारायण, डा बैजू चौधरी, प्रो अशोक मेहता व डा एके मिश्र ने भी रखे विचार।

#MNN@24X7 दरभंगा। हमलोग गांधी के बारे में थोड़ा- बहुत जानते हैं, पर उन्हें पूर्णत: समझने वाले बहुत ही कम लोग हैं। महात्मा गांधी भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के महान नेता थे। उनके सिद्धांतों को आज अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है। महात्मा गांधी सत्य, सहिष्णुता, अहिंसा तथा स्वच्छता के साक्षात् मूर्ति थे। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के महात्मा गांधी सदन में विश्वविद्यालय द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कही।

उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि इस महात्मा गांधी सदन का वातावरण पूर्णत: शांतिमय है, जहां आकर अत्यंत शांति का अनुभव होता है।

प्रति कुलपति ने कहा कि गांधी के दर्शन को आलमीरा में रखने की नहीं, बल्कि अपने जीवन में हम कितना अपनाते हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। महात्मा गांधी उदारवादी सोच के नेता थे, जिनके जन्म दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता अभियान प्रारंभ किया था। आज भी समाज में कहीं- कहीं महिलाओं के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है जो गांधी सिद्धांत के खिलाफ है। हमें आन्तरिक एवं बाह्य रूप से पूर्ण स्वच्छता को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह के दिशा- निर्देश में विश्वविद्यालय में अच्छे कार्य हो रहे हैं और सब लोगों का सहयोग भी मिल रहा है।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद ने कहा कि महात्मा गांधी व्यावहारिकता एवं साधना के प्रतिमूर्ति थे, जिनका दर्शन मानवता एवं मानवीय मूल्य आधारित है। गांधी सिर्फ भारत के स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं थे, बल्कि उन्हें समझने के लिए उनके द्वारा लिखित पत्रों, अखबारों एवं पत्रिकाओं को भी पढ़ने की जरूरत है। गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में समग्र समाज को शामिल किया था। गांधी ने सभी धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया था और सभी मानवीय मूल्यों का व्यावहारिक प्रयोग भी किया था। वे कुरान व बाइबिल आदि पढ़ाने वालों को भी अपने- आप में सम्मिलित कर लिया था।

कुलसचिव ने कहा कि महात्मा गांधी ने खुद कहा था कि लोग मुझे 100 वर्ष बाद ज्यादा समझ सकेंगे। आज समाज में जैसे-जैसे भौतिकता बढ़ रही है, वैसे वैसे गांधी की प्रासंगिकता भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी पर अब तक प्रकाशित लगभग सभी पुस्तकों का संग्रह विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय में उपलब्ध है।

सामाजिक संकाय के डीन प्रो जितेन्द्र नारायण ने कहा कि भारत की भूमि अत्यंत ही उर्वर है, जहां हरिश्चन्द्र, राम, कृष्ण, बुद्ध व गांधी जैसे महान व्यक्ति उत्पन्न हुए हैं। विश्व में सिर्फ भारत में ही भौतिक शरीर के अलावे भी उच्च सोच रखा जाता है। महात्मा गांधी प्रकृति के साथ रहते हुए दूसरों को लाभान्वित करने की सोच रखते थे। पश्चिमी देशों के लोग भी मानते हैं कि आज गांधी ज्यादा प्रासंगिक हो रहे हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व व कृतित्व पर भी प्रकाश डाला।

डा बैजू चौधरी ने महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, विश्वशांति और अहिंसा के प्रणेता मानते हुए उनके सपनों को साकार करने की जरूरत पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो अजयनाथ झा, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो शाहिद हसन, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो मंजू राय, मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो रमेश झा, इतिहास विभागाध्यक्ष डा नैयर आजम, गणित विभागाध्यक्ष डा अयाज अहमद, इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो पी सी मिश्रा, बी एड रेगुलर के डा अरविन्द कुमार मिलन, प्रेस एवं मीडिया प्रभारी डा आर एन चौरसिया, एनएसएस पदाधिकारी द्वय- डा विनोद बैठा व डा आनंद प्रकाश गुप्ता, उप कुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान, मैथिली के प्राध्यापक प्रो दमन कुमार झा, मो अली अशरफ जमाल, प्रणव कुमार, प्रशांत कुमार झा व संजय साहनी सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित थे।

कार्यक्रम का प्रारंभ प्रति कुलपति, कुलसचिव तथा उपस्थित सभी व्यक्तियों द्वारा गांधी संग्रहालय स्थित महात्मा गांधी की आदमक प्रतिमा तथा लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि द्वारा अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करने तथा गांधी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिये …” से हुआ। दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो अशोक कुमार मेहता के कुशल संचालन में आयोजित संगोष्ठी में धन्यवाद ज्ञापन बी एड के शिक्षक डा ए के मिश्रा ने किया।