-स्वास्थ्य मंत्रालय के फाइलेरिया उन्मूलन मॉनिटरिंग टीम ने मनीगाछी व नेहरा एपीएचसी, सहित डीएमसीएच का किया मुआयना।

-ओपीडी में मरीज़ों से बात कर फाइलेरिया दवा के सेवन को ले की बात। -मनीगाछी प्रखंड में फाइलेरिया की दवा खिलाने को लेकर बीडीओ व एमओआईसी से मांगी जानकारी

#MNN@24X7 दरभंगा,18 नवंबर । स्वास्थ्य मंत्रालय के फाइलेरिया उन्मूलन टीम की अध्यक्षता करते हुए डॉ भूपेंद्र त्रिपाठी ने मनीगाछी एपीएचसी, डीएमसीएच व नेहरा गांव का अवलोकन किया. सबसे पहले टीम मनीगाछी अस्पताल पहुंची. मौके पर बीडीओ अनुपम कुमार व एमओआईसी डॉ रिज़ा आलम से पूर्व में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर चलाये जा रहे अभियान व विभागीय रिपोर्ट की अद्यतन जानकारी मांगी.

इस क्रम में डॉ त्रिपाठी ने सभी घरों में प्रत्येक सदस्यों को दवा खिलाने पर बल दिया. घर से अनुपस्थित व बाहर रहने वाले सदस्यों की बाबत डेटा अपडेट करते हुए खुराक खिलाने को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. डॉ त्रिपाठी ने माइक्रोप्लान की चर्चा करते हुए कर्मियों को सही आंकड़ा भरने को कहा, ताकि सभी पात्र लोगों को फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा खिलाकर इस बीमारी पर कंट्रोल कर सकें. साथ ही आगामी प्लान बनाने में सुविधा हो.

डॉ त्रिपाठी ने कहा कि फाइलेरिया को 2012 तक समाप्त कर लेना था, लेकिन अब तक इन बीमारियों पर कंट्रोल नहीं किया जा सका है. बताया कि उनका मकसद ज़मीनी स्तर पर फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर हो रही परेशानियां व इसका निराकरण किया जा सके. इसके लिए संबंधित विभागों का सहयोग लिया जाएगा. मौके पर आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ सुब्रमन्यम व सीएफएआर के डॉ एस के पांडेय ने डेटा की जानकारी ली.

अल्बेंडाजोल की दवा चबा कर खाने की ज़रूरत –

डॉ त्रिपाठी ने कहा कि परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में पहुंचता है. ऐसे मच्छर घरों के आसपास नाली, गड्ढों व घर के अंदर रुके हुए पानी में पनपते हैं. ठंड लगने के साथ ही तेज बुखार होना, हाथ-पैर की नसों का फूलना, दर्द होना, जांघ में गिल्टी उभर आना, हाथ, पैर में सूजन आदि इस रोग के लक्षण हैं. इस रोग के लिए डाईइथाइल कार्बामाजिन व अल्बेंडाजोल दवा फाइलेरिया के लिए रामबाण होने के साथ ही सुरक्षित भी है. दवा खिलाने को लेकर जागरूकता चलाने पर बल दिया.

कहा कि इस रोग से ग्रसित लोग निकट के प्राथमिक अस्पताल तक पहुँचें इसे लेकर जागरूक किया जाए. कहा कि कर्मियों को ऐसा प्रयास करना चाहिए, ताकि खुद लोग दवा की मांग करें. डॉ त्रिपाठी ने कहा कि फाइलेरिया की दवा में अल्बेंडाजोल की दवा चबा कर खानी है, इसको निगलना नहीं है. इसके अलावा ओपीडी में मरीज़ों से फाइलेरिया की दवा खाने के तरीकों के बाबत जानकारी ली. लोगों को दवा खाने के तरीके व डोज़ के बारे में बताया.

फाइलेरिया जागरूकता अभियान में मेडिकल छात्र व चिकित्सक दें साथ-

मॉनिटरिंग टीम ने डॉ त्रिपाठी की अगुवाई में दोपहर बाद दो बजे दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ के एन मिश्र, अधीक्षक डॉ हरिशंकर मिश्रा व विभागाध्यक्ष से फाइलेरिया रोग के उन्मूलन में सहयोग मांगा. इसके तहत फाइलेरिया रोगियों का डेटा भेजने को कहा. फाइलेरिया उन्मूलन के मद्देनजर जूनियर चिकित्सकों को फाइलेरिया अभियान को लेकर ट्रेनर या ऑब्जर्वर बनाने को कहा. इसके अलावा जन जागरूकता के लिए कार्य करने की बात कही. मौके पर अस्पताल प्रशासन ने पूरा सहयोग करने की बात कही.

वहीं अंत में नेहरा एपीएचसी का लिया जायजा. मौके पर डीएमओ डॉ जेपी महतो, केयर के अंशु कुमार, धीरज सिंह, सीएफएआर के अजय कुमार, फाइलेरिया विभाग के गणेश महासेठ, बबन प्रसाद, गौतम कुमार आदि मौजूद थे.