-किसी भी जानवर के काटने पर लें चिकित्सक की सलाह
#MNN@24X7 मधुबनी, 28 सितम्बर। 28 सितम्बर को विश्व रैबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य रैबीज बीमारी तथा इसकी रोकथाम के बारे जागरूकता फैलाना है। रैबीज सिर्फ कुत्ते के काटने से ही नहीं अन्य जानवरों के काटने से भी होने का खतरा होता है। यह वायरस से फैलने वाला एक बेहद गंभीर रोग है। रैबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है।
कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रैबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रैबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, जो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है।
क्या हैं रैबीज के लक्षण-
एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने बताया बुखार,सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, व्याकुलता, भ्रम की स्थिति,खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना,पानी से डर लगना, नींद नही आना एवं शरीर के किसी एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि रैबीज के लक्षण हैं ।
किसी भी जानवर के काटने पर क्या करें-
अगर रैबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं। काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें। जितना जल्दी हो सके वैक्सीन या एआरवी के टीके लगवाएं। पालतू कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं।
किसी भी जानवर के काटने पर क्या न करें–
रैबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें।
घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं।
रैबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाएँ ।
72 घंटे बाद नहीं होता असर-
यदि किसी भी व्यक्ति को रैबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वैक्सीन या एआरवी के टीके लगाने का कोई फायदा नहीं है। इस लिए जितना जल्दी हो सके वैक्सीन व एआरवी के टीके अवश्य लगावाएं।
लापरवाही न बरतें-
कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रैबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। रैबीज खतरनाक है मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी और ज्यादा घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रैबीज केवल कुत्तों के काटने से होता, मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग फैल सकता है।