सोशल मीडिया का उपयोग बौद्धिकता एवं संवेदनशीलता के साथ हो, ताकि मानवता व राष्ट्रीयता की भावना न हो सके खण्डित- प्रो राजेन्द्र।

मानव जीवन का अहम हिस्सा बन चुका सोशल मीडिया समुद्र सदृश्य, जिसमें कोई मोती तो कोई कचरा चुनता है- प्रो मंजू राय।

सेमिनार में डा घनश्याम, प्रो मंजू राय, प्रो राजेन्द्र साह, डा चौरसिया, मनोज शर्मा व पंकज झा ने रखें महत्वपूर्ण विचार।

सोशल मीडिया शिक्षा का बेहतरीन प्लेटफार्म, जिसके माध्यम से कम खर्च में आसानी से छात्र हो सकते हैं लाभान्वित- पंकज कुमार।

#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग योगिता फाउंडेशन तथा सिटीजन आवाज, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में “सोशल मीडिया : वरदान या अभिशाप। विषयक संगोष्ठी का आयोजन विभागीय कक्ष में आयोजित किया गया।

विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो मंजू राय- उद्घाटन कर्ता, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो राजेन्द्र साह- मुख्य अतिथि, संस्कृत- प्राध्यापक डा आरएन चौरसिया- स्वागत कर्ता व विषय प्रवेशक, पंकज कुमार झा- मुख्य वक्ता तथा संचालक एवं धन्यवाद कर्ता के रूप में योगिता फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज कुमार, अनिमेष मंडल, सदानंद विश्वास, अफजल खान, स्नेहा कुमारी तथा कुमार सत्यम आदि ने विचार व्यक्त किए। वहीं मंटून कुमार यादव, विद्यासागर भारती, योगेन्द्र पासवान, उदय कुमार उदेश, सत्यम कुमार, पंकज कुमार व सुधांशु शेखर सहित 50 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।

दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए प्रो मंजू राय ने कहा कि सोशल मीडिया का लाभ या हानि उपयोगकर्ता की प्रवृत्ति एवं सोच पर आधारित है। यह कुछ लोगों को लाभ पहुंचाता है तो कुछ लोगों को बर्बाद भी कर रहा है। मानव जीवन का अहम हिस्सा बन चुका सोशल मीडिया समुद्र सदृश्य है, जिसमें कोई मोती तो कोई कचरा चुनता है। युवा इसका सदुपयोग करें तो यह वरदान सिद्ध होगा, परंतु यदि इसका दुरुपयोग होगा तो उनके लिए अभिशाप ही होगा।

प्रोफेसर राय ने विषय को प्रासंगिक एवं विस्तृत बताते हुए कहा कि कोरोना काल तथा उसके बाद छात्रों के लिए ऑनलाइन माध्यम से वर्ग संचालन तथा वर्क फ्रॉम होम आदि का हमारे लिए काफी उपयोगिता सिद्ध हुआ, परंतु अफवाहें फैलाने व गलत सूचनाएं देने आदि मामलों में हमें सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि इससे बच्चे और युवाओं पर काफी गलत प्रभाव पड़ता है। यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो हम इसका सदुपयोग कर सकारात्मक रूप से अपने परिवार तथा समाज को लाभ पहुंचा सकते हैं।

मुख्य अतिथि प्रो राजेन्द्र साह ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग बौद्धिकता एवं संवेदनशीलता के साथ होना चाहिए, ताकि मानवता और राष्ट्रीयता की भावना खंडित न हो सके। यह ज्ञान का अक्षय भंडार है, जिसमें संसार की सभी बातें उपलब्ध हैं। उन्होंने संगोष्ठी के विषय को महत्वपूर्ण, ज्ञानवर्धक बताते हुए कहा कि आज पूरा विश्व विशाल नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जिसके माध्यम से हम देश- दुनिया से रूबरू होते रहते हैं। वर्तमान तकनीकी युग में लोग इसके बिना नहीं रह सकते हैं, क्योंकि हम इसके आदि हो चुके हैं तथा इसके बिना हमारा जीवन अधूरा हो जाएगा। लालच में कुछ लोग आज इसका अत्यधिक दुरुपयोग भी कर रहे हैं।

मुख्य वक्ता के रूप में पंकज कुमार झा ने कहा कि सोशल मीडिया शिक्षा हेतु बेहतरीन प्लेटफार्म है, जिसके माध्यम से कम खर्च में कहीं गए बिना भी छात्र लाभान्वित हो सकते हैं। डिजिटल माध्यम के द्वारा लोग व्यावसायिक रूप से काफी धन भी कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी सोशल मीडिया का है परंतु दुखद बात है कि लोग बिना जांच- पड़ताल के ही मीडिया पर सूचनाएं शेयर करते हैं। शोध के अनुसार युवा सप्ताह में 70- 72 घंटे तक इसका उपयोग करते हैं, जिस कारण से कई तरह की शारीरिक एवं मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए कार्यक्रम के संयोजक डा आरएन चौरसिया ने कहा कि सोशल मीडिया आज हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है, जिसके माध्यम से हम अपने विचारों व भावनाओं को आसानी से साझा कर सकते हैं तथा देश-विदेश की सारी खबरें तुरंत जान भी सकते हैं। इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनता है, जिससे देश- दुनिया के अनेक व्यक्ति ऑनलाइन तकनीक से जुड़ सकते हैं। आज फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप व यूट्यूब आदि से दूरस्थ लोगों से रिश्ते मजबूत करने, नए संबंध बनाने तथा कठिन समय में सामाजिक समर्थन प्राप्त करने में मदद भी मिल रही है। वहीं इसके अत्यधिक उपयोग से व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार भी हो रहे हैं और अपने नजदीकी लोगों से दूर हो रहे हैं। यह उपयोगकर्ता पर निर्भर है कि वे सोशल मीडिया को अपने लिए वरदान बनाते हैं अथवा अभिशाप।

कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन करते हुए योगिता फाउंडेशन, दरभंगा के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने विस्तार से फाउंडेशन के उद्देश्यों एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी। आयोजकों द्वारा कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं एवं श्रोताओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, जबकि अतिथियों का स्वागत फूल- माला से किया गया।