विश्वविद्यालय परिसर स्थित पीएनबी शाखा के सौजन्य से बीएड विभाग में कल होगा रक्तदान शिविर का आयोजन।

#MNN24X7 दरभंगा विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के एनएसएस कोषांग एवं बीएड विभाग की एनएसएस इकाई के संयुक्त तत्वावधान में आज “रक्तदान जागरूकता” विषय पर वेबीनार का आयोजन बीएड विभागाध्यक्ष डॉ अरविन्द कुमार मिलन की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा के मैनेजर हेमंत झा- मुख्य अतिथि, कार्यक्रम संयोजक डॉ आर एन चौरसिया- विषय प्रवेशक एवं स्वागत कर्ता तथा कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सोनू राम शंकर, डॉ रीता कुमारी, डॉ अरुण कुमार, डॉ विभा कुमारी, डॉ सोनी शर्मा, डॉ सरोज राय, डॉ प्रेम कुमारी एवं डॉ कुमार नरेन्द्र नीरज आदि ने अपने विचार रखें। वहीं संचालन डॉ निधि वत्स ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ मिर्जा रुहुल्लाह बेग ने किया। बेबीनार में मारवाड़ी कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ विनोद बैठा, ललन राय, अमन, सूरज, राहुल, सुजीत, हेमंत, नवीन, हरिमोहन, आशीष रंजन, इफ्तिखार अहमद, शबनम, सुजीत, साजिया, साफिया, रोशन, विशाल, नवनीत, शंभू, समरेश कुमार, अमित कुमार झा, अक्षय कुमार झा, आयुषी, साक्षी सहित 60 से अधिक व्यक्ति शामिल हुए।

हेमंत झा ने कहा कि रक्तदान जीवनदान है, जिससे हमारा रक्त फ्रेश होकर अधिक तेजी से बनता है। इसके माध्यम से हम समाजसेवा तथा दूसरों का सहयोग करते हैं। उन्होंने एक कर्नल का उदाहरण देते हुए बताया कि हुए बताया 238 बार रक्तदान कर चुके हैं। एक यूनिट रक्त से कम से कम तीन लोगों की जान बचा सकते हैं। मनमोहन सरावगी ने रक्तदान को महादान बताते हुए कहा कि यह सिर्फ इंसान ही कर सकता है, क्योंकि मानव रक्त को कृत्रिम रूप से तैयार नहीं किया जा सकता है। रक्त ग्रुप की खोज करने वाले व्यक्ति के जन्म दिवस को विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपनी ओर से कॉलेजों में निःशुल्क रक्त ग्रुप की जांच शिविर आयोजित करने का वचन दिया।

डॉ अरविन्द मिलन ने रक्तदाता को भगवान सदृश्य मानते हुए कहा कि रक्तदान से रक्तदाता तथा रक्त प्राप्तकर्ता दोनों को लाभ होता है। रक्तदान मरणासन्न व्यक्ति को जीवन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि अनेक भ्रांतियों के कारण ही भारत में कम रक्तदान होता है चिंतनीय है। युवा इन भ्रांतियां को दूर कर आम लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करें।

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश करते हुए डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि रक्तदान हमारी मानवीय संवेदना का प्रतीक है जो पीड़ित मानवता की सर्वश्रेष्ठ सेवा है। इससे मन को सुकून तथा संतुष्टि मिलती है। थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, ऑपरेशन, दुर्घटना तथा प्रसव के समय रक्त चढ़ाने की विशेष जरूरत होती है जो स्वैच्छिक रक्तदान से ही संभव है। इस अवसर पर डॉ सोनी शर्मा, डॉ विभा कुमारी, डॉ सरोज राय, डॉ कुमार नरेन्द्र नीरज, डॉ रीता कुमारी, डॉ सोनू राम शंकर आदि ने भी रक्तदान के महत्व एवं सामाजिक जागरूकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। राष्ट्रगान से बेबीनार का समापन हुआ।