थाना का क्षेत्राधिकार का बोर्ड हरेक सड़क-गली, टोला-मुहल्ला, वार्ड में लगाई जाये-सुरेंद्र प्रसाद सिंह।
जब पुलिस को क्षेत्राधिकार की सही जानकारी नहीं तो पुलिसिंग कैसे?
#MNN24X7 समस्तीपुर, 1 दिसंबर, थाना क्षेत्र के सीमा विवाद के कारण शिकायतकर्ता, आवेदक, पीड़ित व परेशान लोगों को नगर से मुफस्सिल एवं मुफस्सिल से नगर थाना का परिक्रमा कराया जाता है और इस वजह से तात्कालिक न्याय व कारवाई से पीड़ित को वंचित भी होना पड़ता है। भूमि एवं मकान पर कब्जा, चोरी, छिनतई, हत्या, अपराध, लूट, दंगा, डकैती, पासपोर्ट, आचरण प्रमाण पत्र, अवैध अतिक्रमण, जांच जैसे त्वरित मामले में कारवाई असंभव सा हो जाता है और इसे लेकर अनायास विवाद भी खड़ा होता रहता है।
कुछ दिन पहले शहर के विवेक-विहार मुहल्ला निवासी नीलम देवी चैन छिनतई का शिकायत दर्ज कराने को लेकर घंटों नगर एवं मुफस्सिल थाना के बीच फंसी रही। करीब दो महीना पहले मगरदही के जेनरेटर संचालक दीनबंधु प्रसाद अपने संस्थान पर हमला की शिकायत दर्ज कराने को लेकर 4 बजे शाम से 9 बजे रात्री तक नगर एवं मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पेंच में इस थाना से उस थाना का दौड़ा करते रहे। धर्मपुर के न्यू कालोनी में एक जमीन संबंधी विवाद में दोपहर से 10 बजे रात्री तक नगर एवं मुफस्सिल थाना क्षेत्राधिकार का मामला चलता रहा। चांदना पेट्रोल पंप से उत्तर सड़क हादसे में जान गवांने वाले जितवारपुर के किसान सलाहकार एवं विवेक -विहार मुहल्ला के गोली के शिकार अजय पंडीत के परिजनों को ऐसे ही थाना क्षेत्राधिकार विवाद का सामना करना पड़ा था।
इस संबंध में जन समस्या को लेकर चर्चित आंदोलनकारी सह भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि थाने का सीमांकन उस क्षेत्र को परिभाषित करता है जहां पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में अपराधों की रिपोर्ट दर्ज की जाती है। यह एक पुलिस स्टेशन का अधिकार क्षेत्र होता है जो यह निर्धारित करता है कि क्षेत्र के लोग उसी थाने में अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। लेकिन पुराने व अस्पष्ट सीमांकन के कारण आये दिन पीड़ित को एक थाने से दूसरे और फिर दूसरे से तीसरे थाना दौड़ाया जाता है। इससे न्याय की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होता है। अतः थाना क्षेत्र के छोटे-बड़े सड़कें, गली-मोहल्लों में सीमा से संबंधित बोर्ड लगाया जाना चाहिए ताकि शिकायतकर्ता, आवेदक, पीड़ित-परेशान लोगों को त्वरित सहायता मिल सके।
