शुक्रवार को मधुबनी दौरे पर आये प्रशांत किशोर के द्वारा पृथक मिथिला राज्य के गठन को लेकर दिए बयान की विद्यापति सेवा संस्थान ने तीव्र निन्दा की है। संस्थान की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि राजनीतिक कालाबाजारी के जरिए अपना पेट पालने वाले प्रशांत किशोर पृथक मिथिला राज्य के गठन से होने वाले फायदे के बारे में क्या जानें, उन्हें तो लग रहा होगा कि ऐसा होने से उनके कारोबार का राज्य बिहार उनके हाथ से निकल जाएगा।
उन्होंने कहा कि मिथिला के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं भाषाई आजादी के बिना समग्र मिथिला क्षेत्र का विकास असंभव है। सड़़क से संसद तक संघर्ष जारी है और यह आंदोलन पृथक मिथिला राज्य का गठन होने तक अनवरत जारी रहेगा।
डा बैजू ने कहा कि सनातनी मिथिला को पृथक राज्य के रूप में गठन की मांग करते हुए सौ बरस से ऊपर हो गया। इस भौगोलिक क्षेत्र में बंगाल से बिहार, उड़ीसा और झारखंड राज्य बन गया। लेकिन पृथक मिथिला राज्य के गठन की आठ करोड़ से अधिक मिथिलावासी के मांग की अब तक अनदेखी किया जाना निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र लगातार बिहार से अलग होने की बात कर रहा है क्योंकि मैथिलों के लिए बिहारी शब्द मिथिला के नैतिक पहचान ,नैतिक मूल्य, सभ्यता-संस्कृति, भाषा एवं विकास में बाधक है और इस कारण बिहार में मैथिलों की पहचान निरंतर लुप्त होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में मिथिला में बेरोजगारी और पलायन में बेहताशा वृद्धि हुई है। सभी चीनी व जूट मिल सहित उद्योग- धंधे बंद हो गए हैं। मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य का गठन जरूरी है। मिथिला की प्रगति सरकारी उपेक्षा के कारण दिशाहीन हो गयी है। सरकारी उदासीनता के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में तीव्र पतन हो रहा है।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने बिहार सरकार को आगाह किया कि पृथक मिथिला राज्य के लिए विधानसभा में जल्द प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र में सड़क रोको, रेल रोको अभियान शुरू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जब तक हम पूर्ण रूप से संगठित नहीं होंगे, फिरकापरस्त ताकतें हमें यूं ही गुमराह करती रहेगी और हमें अलग मिथिला राज्य मिलने में कठिनाइयां होगी।
उन्होंने कहा कि यह किसी एक व्यक्ति या संस्था की मांग नहीं है। यह संपूर्ण मिथिलावासियों की बहुत पुरानी मांग है जिसके लिए हम लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं।