#MNN@24X7 पौराणिक कथाक अनुसार यमुना आ यमराज भाई बहिन छथि। शास्त्रक अनुसार यमुना जी अपन भाई यम सँ बड प्रेम करै छली। ओ अपन भाई यम सँ बेर बेर आग्रह करैत छली जे ओ हुनका घर आबथि आ भोजन करथि। चाहियो क’ यमराज काजमे व्यस्तताक कारणेँ यमुनाक घर नहिं आबि पबै छला।
एक बेर यमकेँ यमुना बड मोन पड़लथिन आ यम यमुनाक घर एबाक नेयार केलनि। यम अपना दूतकेँ यमुनाक खोज करबाक लेल कहलथिन मुदा दूत सभ विफल रहि गेल। तकरबाद यम स्वयं गोलोक गेला, जतय विश्राम घाटपर यमुनासँ भेट भेलनि। भाईकेँ यमुनासँ भेट भेलनि। एहि भेटसँ यमुना जी भावविभोर भ’ यम केर स्वागत् केलनि आ अनेक प्रकारक स्वादिष्ट व्यंजन भोजनमे परसलनि।
एहिसँ यम प्रसन्न भेला आ कहलथिन जे बहिन हमरासँ वरदान मांगू। यमुनाकेँ कलियुगमे जनकल्याणक चिन्ता भेलनि। ओ वरदान मंगलनि जे, जे भाई बहिन भरदुतिया केँ हमर जलमे स्नान करथि हुनका यम लोकक कठोर यातना नहिं सहय पड़नि। यम यमुनाकेँ ई वरदान देलनि।
अखिलेश कुमार झा