भाकपा माले को मजबूत करने, लोकतंत्र की लड़ाई को आगे बढ़ाने और 2024 में फासीवादी हुकूमत को उखाड़ फेकने का संकल्प ही कॉ. लक्ष्मी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि-दीपांकर भट्टाचार्य
#MNN@24X7 दरभंगा 11 नवंबर को समाजवादी और कम्युनिस्ट आंदोलन की धरती डिलाही के सपूत,पूरे मिथिलांचल में परिवर्तन के नायक के रूप में स्थापित भाकपा माले के वरिष्ठ नेता लक्ष्मी पासवान की श्रद्धांजलि सभा उनके पैतृक गाँव में आयोजित की गई।
स्मृति सभा में शरीक होने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, पोलित ब्यूरो सदस्य अमर जी डिलाही पहुँचे।
परिजनों से मुलाकात कर राष्ट्रीय महासचिव सहित तमाम नेतृत्वकारी साथी कार्यक्रमस्थल पर पहुँचे।
मरहूम कॉमरेड लक्ष्मी जी की तस्वीर पर पुष्पांजलि के बाद वरिष्ठ नेता कॉ. आर.के.सहनी के शहीद गीत से कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई।
मौके पर राष्ट्रीय महासचिव कॉ. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि कॉमरेड लक्ष्मी जी ने अपने 50 साल के राजनीतिक सफर में मिथिलांचल के लोगों को जगाने का काम किया। वो एक ऐसा जागरण था जो सामंती जोर-जुल्म के खिलाफ था।
70 के दशक में तानाशाही के दौर में उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत बनाने की लड़ाई लड़ी। उन्होंने जहाँ से अपनी यात्रा शुरू की थी वो आपातकाल का दौर था। लेकिन वो आपातकाल कुछ समय का था। आज अघोषित आपातकाल का दौर है। आज अभिव्यक्ति पर हर तरह के हमले हो रहे। एक वैचारिक चुनौती हमारे सामने है। लक्ष्मी जी जिस वैचारिक लड़ाई के वाहक थे, उसको गाँव-गाँव से लेकर दिल्ली तक पहुँचाना होगा।
प्रभुत्वशाली तबकों ने कमजोरों-गरीबों, दलितों को सताने का सिस्टम बना दिया था। इस को दूर करने के लिए संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर ने आरक्षण का प्रावधान किया।
2019 में मोदी सरकार ने संविधान में संशोधन करके ‘सामजिक पिछड़ेपन’ के बजाय ‘आर्थिक कमजोरी’ के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया। यह दलितों के आरक्षण के अधिकार पर सीधा हमला है।
पिछले 60-70 सालों में सामजिक बराबरी का जो सफर हमने तय किया था, आरएसएस-बीजेपी ने देश को पीछे धकेल दिया है।
संविधान को ख़तम करने के दौर में लक्ष्मी जी बता कर गए हैं कैसे लड़ना है?
आगे उन्होंने कहा कि हमलोग संकल्प ले रहे हैं कि जिस पार्टी को बनाने में लक्ष्मी जी ने अपनी ज़िंदगी न्यौछावर कर दी, उसको मजबूत बना कर लाल झंडे को मजबूत करेंगे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव ने आगामी 15 फरवरी 2023 को भाकपा माले द्वारा निर्धारित रैली में गाँव-शहरों से लोगों को एकजुट हो कर लोकतंत्र को मजबूत करने का आह्वान किया।
अंत में उन्होंने लक्ष्मी जी की स्मृति में लाइब्रेरी बनाने का प्रस्ताव रखा।
स्मृति सभा का समापन करते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमारे साथी कभी मरते नहीं हैं। देश और समाज को बदलने का जो संघर्ष है, इन संघर्षों में वे जीवित रहते हैं। लक्ष्मी जी इन्हीं संघर्षों में जीवित रहेंगे।
मौके पर पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा कि हमें इस शोक को शक्ति में बदलना है। उनकी विरासत को आगे बढ़ाना है। उनका जाना पूरे मिथिलांचल के लिए बड़ी क्षति है। कम्युनिस्ट आंदोलन, दलित-गरीबों की दावेदारी के लिए, फ़ासीवाद के खिलाफ, साम्प्रदायिकता के खिलाफ आंदोलन में उनकी बड़ी भूमिका थी।
स्मृति सभा में परिजन पंकज कुमार, परमिला देवी, सागर देवी, पूनम देवी, उमेश, शंकर पासवान, रत्तीलाल पासवान, चंदन कुमार, सियाशरण आदि सहित माले जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, जसम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन, राज्य कमिटी सदस्य नेयाज अहमद, अभिषेक कुमार, शनिचरी देवी, जंगी यादव, विनोद सिंह, ऐपवा जिलाध्यक्ष साधन शर्मा, रानी शर्मा, रानी सिंह, विनोद सिंह मयंक, प्रिंस राज, सन्दीप चौधरी, संतोष पासवान, हरि पासवान, उमेश साह, देवेंद्र साह, हरिश्चंद्र पासवान, सत्यनारायण मुखिया,हरि पासवान, शिवन यादव,सियासरण पासवान,उमेश साह, देवेन्द्र साह, वकील पासवान, गंगा मंडल, सुरेंद्र यादव, सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।
कार्यक्रम का संचालन हनुमाननगर प्रखंड सचिव पप्पू कुमार पासवान ने किया।