इग्नू अध्ययन केन्द्र द्वारा गोद लिए गए दलित, पिछड़े एवं अल्पसंख्यक बाहुल्य वाजितपुर की 25 महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण।
प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में डा चौरसिया, डा अंजू, डा प्रेम कुमारी, प्रेरणा नारायण, उमाशंकर व अनिल सिंह आदि ने रखे विचार।
वाजितपुर- किलाघाट स्थित डा अंबेडकर मॉडल स्कूल प्रांगण में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं ने प्रदर्शित किए सिले- सिलाई कपड़ों के नमूने।
#MNN@24X7 सी एम कॉलेज, दरभंगा के इग्नू अध्ययन केन्द्र तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में महिलाओं की आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से संचालित 60 दिवसीय निःशुल्क सिलाई- कटाई प्रशिक्षण शिविर का समापन समारोह कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में वाजितपुर- किलाघाट, दरभंगा स्थित डा अंबेडकर मॉडल स्कूल प्रांगण में हुआ।
ज्ञातव्य है कि दलित, पिछड़े एवं अल्पसंख्यक बाहुल्य वाजिदपुर, वार्ड नंबर 23, दरभंगा को सी एम कॉलेज के इग्नू अध्ययन केन्द्र द्वारा गोद लिया गया है। वाजिदपुर के चतुर्दिक विकास हेतु महाविद्यालय द्वारा समय- समय पर स्वच्छता, स्वास्थ्य व पर्यावरण जागरूकता के साथ ही शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक विकास हेतु विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं।
आज की बैठक में प्रो विश्वनाथ झा के साथ ही इग्नू समन्वयक डा आर एन चौरसिया, विज्ञान- शिक्षिका डा अंजू कुमारी, बीएचयू की छात्रा प्रेरणा नारायण, डा अंबेडकर मॉडल स्कूल के निदेशक उमा शंकर पासवान, संगीत की विभागाध्यक्षा डा प्रेम कुमारी, डा प्रभात दास फाउंडेशन के वरीय कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह एवं सिलाई- कटाई की प्रशिक्षिका दुर्गा देवी आदि ने महत्वपूर्ण विचार रखे।
अपने संबोधन में प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि सिलाई- कटाई के हुनर से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। यह कम लागत में अधिक लाभ देने वाला काम है। उन्हें अपनी ओर से पूरी मदद करने का आश्वासन देते हुए कहा कि अगले शिविर हेतु मैं एक और सिलाई मशीन दूंगा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित महिलाएं यथाशीघ्र अपने घरों से ही सिलाई- कटाई का कार्य शुरू करें।
मुख्य वक्ता के रूप में इग्नू के समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं सिलाई का कार्य अपने घर पर भी कर सकती हैं, जिसके लिए लाइसेंस या पंजीयन कराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने प्रशिक्षित महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि वे शीघ्र ही अपने हुनर के उपयोग से आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़े, समाज एवं सरकार उन्हें हर तरह से मदद करने को तैयार है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में डा अंजू कुमारी ने कहा कि सिलाई- कटाई का कार्य महिलाएं अपने गृह कार्य के बाद बचे हुए समय का सदुपयोग करते हुए कर सकती हैं, क्योंकि यह छोटे जगह, कम पूंजी तथा अल्प समय में लाभ देने वाला कार्य है। प्रशिक्षण के बाद निरंतर अभ्यास से उनमें कुशलता आएगी और सिलाई कार्य बेहतर से बेहतरीन होता जाएगा।
बीएचयू, वाराणसी की छात्रा प्रेरणा नारायण ने कहा कि सिलाई एक विशेष कौशल है जो कम शिक्षित व गरीब व्यक्ति द्वारा भी आसानी से किया जा सकता है। स्वावलंबन हेतु किया गया हर कार्य सराहनीय एवं अनुकरणीय होता है। इस क्षेत्र में और अधिक प्रशिक्षण एवं पूंजी लगाकर फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रशिक्षिका दुर्गा देवी ने कहा कि बिना परिश्रम के कुछ नहीं मिलता है। यदि महिलाएं इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं तो मैं उन्हें पूरी मदद करते हुए आगे भी हर तरह की कुशलता सिखाने को तैयार हूं।
आगत अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए विद्यालय की सचिव डा प्रेम कुमारी ने कहा कि यह प्रशिक्षण महिलाओं के स्वाबलंबी होने की शुरुआत है जो परिवार और समाज के लिए भी लाभदायक है। उन्होंने अपनी ओर से विद्यालय परिसर तथा हर तरह की सहायता देने की पेशकश की।
कार्यक्रम में अमरजीत कुमार, राजकुमार गणेशन व प्रणव नारायण आदि ने सराहनीय भूमिका का निर्वहन किया।प्रशिक्षित महिलाओं में विभा देवी, मुद्रिका देवी, स्नेहा कुमारी, रितिका कुमारी, शिवांगी श्री, पायल कुमारी, तुलसी कुमारी, सुनैना कुमारी, रहमत प्रवीण, शहनाज फातमा, नेमत प्रवीण, सुजाता कुमारी, गुलशन प्रवीण, जीनत प्रवीण, फरीदा खातून, सिमी खातून, सुमया खातून, फरहत प्रवीण, तायरा खातून, हेना प्रवीण साफिया प्रवीण, रुवाना, हसीना खातून, यासमीन प्रवीण तथा सायमा मजहर को प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
डा प्रभात दास फाउंडेशन के वरीय कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के निदेशक उमा शंकर पासवान ने किया।