#MNN@24X7 दरभंगा। महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन, दरभंगा के द्वारा कल्याणी निवास में महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह के ‘जन्म दिवस’ के अवसर पर ‘महाराजा कामेश्वर सिंह स्मृति व्याख्यान’ हिमालय के विशेषज्ञ पद्मश्री प्रोफेसर शेखर पाठक ने “हिमालय : चुनौतियों का घर” विषय पर व्याख्यान दिया।

हिन्दी के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफेसर प्रभाकर पाठक ने स्मृति व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कहा कि, ” प्रोफेसर शेखर पाठक ने हिमालय की समस्याओं और संभावनाओं पर इतना विस्तृत व्याख्यान दे दिया है कि इस विषय पर बोलने के लिए कुछ बच नहीं जाता है। हिमालय की विस्तृत चर्चा कालिदास ने भी विस्तृत रूप से किया है। कालिदास ने हिमालय की पारिस्थितिकी एवं भूगोल का वर्णन किया है, साथ में हिमालय के सौंदर्य की चर्चा की है। हमें हिमालय संबंधित जो ज्ञान कालिदास ने दिया और उससे काफी आगे बढ़कर प्रोफेसर शेखर पाठक ने हिमालय की विस्तृत वैज्ञानिक व्याख्या की है”।

अपने मुख्य भाषण में प्रोफेसर शेखर पाठक ने भाषण की शुरुआत महाराजा कामेश्वर सिंह के विशाल व्यक्तित्व और जनोन्मुखी विकास कार्यों को स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही बाबा नागार्जुन को मिथिला और हिमालय के संबंध सेतु के रूप में स्मरण किया। हिमालय और उत्तर भारत के मैदान का संबंध नैसर्गिक है और यह क्षेत्र हिमालय के स्वस्थ जीवन पर निर्भर करता है। हिमालय से सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र निकल कर नीचे मैदान को जीवन प्रदान कर रहे हैं वहीं नीचे से असंख्य तीर्थ यात्री उपर हिमालय में जाते रहते हैं। जहाँ हिमालय की नदियों से मैदानी इलाकों को जीवन मिलता है वहीं हिमालय की अनियंत्रित यात्रा उसे दूषित कर रही है। हिमालय जैव विविधता का विश्व में सबसे बड़ा क्षेत्र है, इसकी पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना पूरे विश्व की सुरक्षा के लिए अत्यावश्यक है। अपनी आंतरिक भूगर्भीय संरचना के कारण हिमालय का सतत् निर्माण और क्षरण होता रहता है।

उन्होंने कहा कि आवश्यकता है हिमालय में अत्यधिक यात्राओं को नियंत्रित करने की वरना क्षरण तेज होगा और इसका खामियाजा भारत, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, चीन, भूटान, म्यांमार, बंगलादेश के साथ ही मध्य एशिया के देश भी भोगेंगें। हिमालय के उपर भारत नेपाल की सात कड़ोर से अधिक आबादी निर्भर है वहीं इस देश की सत्तर कड़ोर से अधिक आबादी सम्बद्ध है। इसलिए इसकी सांस्कृतिक, पारिस्थितिकी और आर्थिक विविधता को संरक्षित रखना आवश्यक है। अगर हिमालय को हमने संरक्षित नहीं रखा तो हिमालय से सीधे सम्पर्क में रहने वाले सभी देशवासियों की समस्याएं विकराल हो जायेंगी। दुनिया के पूरे भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 0.3 प्रतिशत हिमालय के कब्जे में है, जबकि विश्व का 12℅ से अधिक जैव विविधता वाले क्षेत्र हिमालय के कब्जे में है। भारत का 63℅ जल की आवश्यकता की पूर्ति यही करता है।

अपने उद्बोधन में ट्रस्ट के न्यासी पद्मश्री डाक्टर जे० के० सिंह ने महाराजा कामेश्वर सिंह के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक कार्यों को स्मारित किया।

स्वागत भाषण फाउंडेशन के कार्यकारी अधिकारी श्री श्रुतिकर झा ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन ट्रस्ट के न्यासी प्रोफेसर रामचंद्र झा ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत आस्था झा के भगवती गीत से हुई.