दरभंगा। सूफी संत हजरत सैयद शाह फिदा मोहम्मद अब्दुल करीम उर्फ मौलाना समरकंदी रहमतुल्लाह अलैहे के 129वीं उर्स के मौके पर रहमगंज स्थित खानकाह आलिया समरकंदिया में आयोजित चार दिवसीय जलसा दूसरे दिन रविवार को सुबह 6 बजे कुरानखानी के बाद शुरु हुई। फिर देर रात खानकाह परिसर में शानदार जलसे का आयोजन हुआ।जिसमें दरभंगा सहित देश के कई हिस्सों से नामचीन मौलानाओं एवं शायरों ने भाग लिया।
इस जलसे में बड़ी संख्या में दरभंगा सहित देश के कई प्रदेश से मौलाना स्मरकंदी के चाहने वाले लोगों की शिरकत हुई। देर शाम तक लोग बसों एवं कई तरह की गाड़ियों से जलसे में पहुंच रहे थे। वहीं सोमवार की रात तीसरे दिन भी शानदार जलसे का आयोजन हुआ। इस आयोजन में मौलाना अपने तकरीर और शायर अपने नातिया कलाम से लोगों को फायदा पहुंचाते रहे। साथ ही दीन और अल्लाह के बताए हुए नेक रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी गुजारने की हिदायत दी। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा अच्छी व दीन के बताए रास्तों पर चलने को कहा।
खानकाह समरकन्द के सरपरस्त हजरत सैयद शाह समसुल्ल्लाह जान उर्फ बाबू हुजूर की सरपरस्ती में शुरू हुई।
दरभंगा के जाने-माने शायर हैदर रजा के कलाम इश्क ए नवी में झूम नात ए सुनाइए, हो जमाना मेरा दुश्मन मुझे कुछ गिला नही, मेरे नूर वाले आका अगर तू खफा नही तो कोई गम नहीं। नातिया कलामो में लोग देर रात तक गोते लगाते रहे।उर्स के अवसर पर कई नामचीन मौलानाओं और उलेमाओं ने जलसे से खिताब किया।
जिसमें मुख्य रूप से मौलाना नासिर रजा खान के द्वारा तकरीर से पहले एक शेर पढ़ा गया, फूल तो फूल कांटों को हमने महकते देखा आप है आले रसूल औलादे नबी हैं। उन्होंने कहा कि दरभंगा में बाबू हुजूर की सरपरस्ती में शानदार और बड़े स्तर पर जलसे की महफिल सजाई गई। अपने तकरीर में उन्होंने कहा कि जहां बाबू हुजूर होते हैं वहां रहमतों की नूर की बारिश होती है। अल्लाह के द्वारा शैतानों को अगर ताकत दिए हैं तो सोचें उन्होंने अपने ऑलियाओ को कितना मर्तबा दिया होगा।
शायर कारी इरशाद मोअत्तर जलालपुरी ने अपने कलाम सुनाए, हमारे दिल में है जलवा हुजूर आली का, बसा नजरों में चेहरा हुजूर आली का, शायर रिजवान अहमद, किलाघाट कुरआन तो ईमान बताता है, ईमान यह कहता है मेरी जान है कुरआन ,शायर, रियाज खान कादरी अबके हुजूर में सर को झुकाने का वक़्त हैं, नाराज अपने रब को मनाने का वक़्त है।
अन्य वक्ताओं में मौलाना मुफ्ती तहजीब रजा कादरी ने तकरीर से खिताब करते हुए कहा उनकी महक ने दिल के गुंचे खिला दिए, एक दिल है हमारा क्या है तुमने तो चलते फिरते मुर्दे जिला दिए हैं,शायर मौलाना, शाहिद कमर,मुंबई से मौलाना जकी अशरफ कादरी, मौलाना मुफ्ती मनफूल शरीफ,हज़रत मौलाना मुफ़्ती सलीम अख्तर (मुंबई) सहित अन्य ने भी जलसे से खिताब कर जलसे की महफिल सजती रही। लोग देर रात तक रूहानी माहौल में झूमते रहे।
वहीं सोमवार को जलसे के तीसरे दिन की देर शाम मौलाना नौमान अख्तर फ़ैक अल-जमाली नवादा मायनाज़ जैसे बड़े नाम शामिल हुए। उलेमाओं में मौलाना मुफ्ती मुतिउर रहमान (पूर्णिया), काज़ी नेपाल, मौलाना मुफ़्ती उस्मान बरकती, हज़रत मौलाना मुफ़्ती महफ़िल अशरफ़, पश्चिम बंगाल शायर, जमजम फतेहपुरी कारी इशहाक अंजुम जमशेदपुर के नाम शामिल हैं।
चार दिवसीय उर्स का समापन मंगलवार को शहर के भठीयारी सराय स्थित भीखा शाह सैलानी के दरगाह परिसर हजरत के मजार पर चादरपोशी,फातिहा, दुआ के साथ किया जाएगा। जलसे के बारे में जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी नादिर खान के द्वारा बताया गया है।