MNN24X7 मोतिहारी, पूर्वी चंपारण 05, जनवरीजन सुराज पदयात्रा के 96वें दिन की शुरुआत चकिया प्रखंड अंतर्गत हरपुर पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ ब्रह्मस्थान से निकले। आज जन सुराज पदयात्रा पूर्वी चंपारण के बथना, पंडितपुर, सलेमपुर होते हुए मोतिहारी शहर के हवाई अड्डा मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। प्रशांत अबतक पदयात्रा के माध्यम से लगभग 1200 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इसमें 550 किमी से अधिक पश्चिम चंपारण में पदयात्रा हुई और शिवहर में उन्होंने 140 किमी से अधिक की पदयात्रा की। पूर्वी चंपारण में अबतक 500 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। दिन भर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर 4 आमसभाओं को संबोधित किया और 5 पंचायत, 9 गांव से गुजरते हुए 16 किमी की पदयात्रा तय की। इसके साथ ही प्रशांत किशोर स्थानीय लोगों के साथ संवाद स्थापित किया।
राधा मोहन सिंह को चांदी के सिक्कों से मोतिहारी के लोगों ने तौला था, फिर भी स्तिथि जस की तस क्यों? : प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं जब मोतिहारी में चल रहा हूं तो किसी ने मुझे आकर बताया कि मोतिहारी के लोगों ने 5 बार से सांसद रहे राधा मोहन सिंह को चांदी के सिक्कों से मोतिहारी के लोगों ने तौला था। मैं बोलता हूं आपने उन्हें चांदी के सिक्कों से तौला चाहे नहीं तौला, पर लोगों ने वोट करके उन्हें सोने के तिजोरी में बैठा तो दिया। आज बिहार में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसानी, यूरिया और न जाने कितनी परेशानियों से लोग घिरे हैं। फिर भी आप लोग एक ही व्यक्ति को 5 बार से कैसे जीता रहें है? गलती हम में है, जो हम काम नहीं करने वाले नेताओं को सत्ता की कुर्सी में बार बार-बार बैठाते हैं।
बिहार के मजदूर दूसरे राज्यों में 12 से 14 घंटे काम करते हैं, ताकि घर में उनके बच्चे भूखे पेट ना सोए: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान पिपराकोठी प्रखंड के पंडितपुर गांव में आम सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जिसके घर से कोई आदमी रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में नहीं गया होगा। आज बिहार में एक बार कोई जवान हो गया तो अपने पीठ पर झोला लेकर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में चला जाता है। अगर आपने उन्हें ट्रेन में जाते देखा होगा, तो पाया होगा कि भेड़-बकरी की तरह ट्रेन से जा रहे होते हैं दूसरे राज्यों में मजदूरी करने।
उन्होंने कहा कि गरीब घर के माँ-बाप अपने बेटे को पेट काट करके भूखे पेट बच्चों को जवान करते हैं, फिर मजबूरी में काम करने के लिए दूसरे राज्यों में भेज देते हैं। पूरी जवानी दूसरे राज्यों में काम करते है और साल में एक बार छठ में आते है। परदेश में छोटे-छोटे कमरों में 4 से 5 लोग रहते हैं और 12 से 14 घंटे ओवर टाइम काम करते हैं ताकि 12-15 हज़ार रुपये मिल सके, जिसमें से 5 से 6 हज़ार अपने घरों में भेज सके ताकि उनका बच्चा घर पर भूखे पेट न सोए।