#MNN@24X7 18 और 19 जनवरी, 2023 को द्वारका, नई दिल्ली में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम (सीआरए) पर दो दिवसीय मेगा वर्कशॉप का आयोजन किया गया
इस कार्यक्रम में लगभग 80 सदस्यों ने भाग लिया और इससे लाभान्वित हुए। वर्कशॉप के दौरान, उपस्थित लोगों ने सौर संचयन, कार्बन क्रेडिट, फसल अवशेष प्रबंधन, जलवायु अनुकूल किस्मों, फसल प्रणालियों में बाजरा और दलहन, मक्का सुखाने और प्रसंस्करणों के बारे में चर्चा की और इससे सम्बंधित सभी जानकारी को प्राप्त किया।
स्वागत भाषण में बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया(बीसा) के प्रबंध निदेशक डॉ. अरुण कुमार जोशी ने कहा “बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम ने नई ऊंचाइयों को छुआ है. यदि और अधिक किसान सी. आर. ए प्रौद्योगिकी को अपनाते हैं तो निकट भविष्य में स्थायी रूप से कृषि विकास में तेजी आएगी।
उन्होंने सहयोगी संस्थानों और वैज्ञानिकों की भूमिका पर भी जोर दिया और कहा कि “वैज्ञानिकों और कृषि विज्ञान केंद्रों की कड़ी मेहनत के कारण राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है और किसान अब जलवायु अनुकूल कृषि के बारे में अधिक जागरूक हैं वे अब यह जानने लगे हैं कि जोखिम को कैसे कम कर सकते हैं और कम कैसे लागत में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विभाग के सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार के निरंतर मार्गदर्शन से इस परियोजना के ध्येयों को एक नयी गति मिली है.
डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि भारतीय किसान जलवायु परिवर्तन, घटते संसाधनों और आय के साथ-साथ कमजोर होती मिट्टी की सेहत से जूझ रहे हैं। बिहार सरकार के सी. आर. ए कार्यक्रम ने किसानों को उनकी आय और आजीविका बनाए रखने की उम्मीद को नया जीवन दिया है। उन्होंने उपयुक्त बीजों, मशीनों, मिट्टी और जल प्रबंधन, पौधों की सुरक्षा और मूल्य श्रृंखला के साथ बढ़ते कड़ी का उपयोग कर के पानी, उर्वरक और अन्य संसाधनों को बचाना भी सीखा है। सौर ऊर्जा सिंचाई, कार्बन फार्मिंग और अवशेष प्रबंधन जैसी ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियां पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण से सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
डॉ. राजकुमार जाट, वैज्ञानिक एवं बीसा पूसा प्रभारी ने बीसा एवं सी. आर. ए कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा की बीसा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र (आईसीएआर) का एक संयुक्त परियोजना है. बीसा का उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने और भविष्य की मांगों को स्थायी रूप से पूरा करने के लिए कृषि में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना है। बीसा सिर्फ एक संगठन से कहीं अधिक है; यह दक्षिण एशिया के लोगों, विशेषकर किसानों के प्रति प्रतिबद्धता और दूसरी हरित क्रांति को गति देने का एक समन्वित प्रयास है.
डॉ. राजकुमार ने बताया कि कैसे अन्य भागीदारों के साथ संस्था जलवायु अनुकूल कृषि प्रौद्योगिकी और प्रथाओं के साथ किसानों तक पहुंच रही है और कैसे यह किसानों के क्षेत्र में ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे संस्था कृषि कार्यों में यूएवी (ड्रोन) का उपयोग कर रही है.
डॉ. राजकुमार ये भी बताया की “किसानों को बदलती जलवायु परिस्थितियों, ग्लोबल वार्मिंग और कम की मांगों को स्थायी रूप से पूरा करने के लिए कृषि में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना है। बीसा सिर्फ एक संगठन से कहीं अधिक है; यह दक्षिण एशिया के लोगों, विशेषकर किसानों के प्रति प्रतिबद्धता और दूसरी हरित क्रांति को गति देने का एक समन्वित प्रयास है.
डॉ.राजकुमार ने बताया कि कैसे अन्य भागीदारों के साथ संस्था जलवायु अनुकूल कृषि प्रौद्योगिकी और प्रथाओं के साथ किसानों तक पहुंच रही है और कैसे यह किसानों के क्षेत्र में ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे संस्था कृषि कार्यों में यूएवी (ड्रोन) का उपयोग कर रही है. डॉ. राजकुमार ये भी बताया की “किसानों को बदलती जलवायु परिस्थितियों, ग्लोबल वार्मिंग और कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए देश और दुनिया भर में कृषि क्षेत्र को नवाचार और प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है। कई ऐसे सिद्ध समाधान भी उपस्थित है जिससे जलवायु अनुकूल खेती को सुधारा जा सकता है.”
किसानों को उन्हें अपनाने के लिए प्रशिक्षण देना और वित्त पोषण प्रदान करना एक बड़ी समस्या है, हालांकि, देश में किसानों को इन तकनीकों के महत्व को समझने में मदद करने के लिए राज्य सरकार के साथ सी. आर. ए भागीदार एक दशक से अधिक समय से लगातार काम कर रहे हैं और अब यह आकार लेता दिख रहा है।
वर्कशॉप के दौरान डॉक्टर अंजनी कुमार डायरेक्टर आय. सी. ए. आर- अटारी, पटना, श्री अनिल झा, नोडल ऑफिसर, सी. आर. ए कार्यक्रम बिहार सरकार, प्रोजेक्ट संयोजक डॉ. विजय सिंह मीना और डॉ. आई. आर रेड्डी भी उपस्थित थे।
अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रतिनिधि जैसे आई. आर. आर. आई, सी.पी और इकरीसेट के साथ-साथ डॉ अरविंद कुमार डी. डी. जी इकरीसेट हैराबाद भी मौजूद थे.