#MNN@24X7 होली, छठ, दीपावली और दुर्गापूजा के समय यात्री ट्रेनों में प्रत्येक साल भारी भीड़ होती है। बावजूद इसके रेलवे की ओर से यात्रियों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त कोच लगाने की व्यवस्था नहीं की जाती है। जिसके कारण रेल यात्रियों को जानवरों की तरह ट्रेनों में यात्रा करने को विवश होना पड़ता हैं। कुछ इसी तरह का नजारा होली में देखने को मिल रहा है। एक माह पहले भी जिसने टिकट लिया था। उनका भी बर्थ कंफर्म नहीं हुआ है। यात्री जब स्टेशन पर यात्रा करने के लिए पहुंचे तो भीड़ को देखकर सहसा उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि वे घर पहुंच पाएंगे या नहीं। जबकि वे ऐसी स्थिति में यात्रा नहीं करना चाहते। मगर होली पर गांव जाना उनके लिए मजबूरी है। आरक्षण टिकट तो सभी के पास है। अगर किसी को बर्थ मिला भी है तो उसके सीट पर कई यात्री बैठकर यात्रा कर रहे हैं।

वहीं जिस यात्री का टिकट कंफर्म हो गया है वे भी किसी दूसरे यात्री को अपनी सीट पर बैठाना नहीं चाहते हैं। ऐसे में रोजाना यात्री ट्रेनों में हंगामा हो रहा है। साथ ही कोच में 72 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है। मगर 400 से भी ज्यादा यात्री सवार होकर यात्रा कर रहे हैं।बिहार की ट्रेनों को छोड़ दें तो बाकी ट्रेनों की हालत भी एक जैसी ही बनी हुई है। आरक्षण टिकट या सामान्य टिकट लेकर यात्रा करने वाले यात्रियों की हालत बिल्कुल एक जैसी ही है। किसी तरह घर तक पहुंचना ही यात्रियों के लिए काफी है। अगर रेल मार्ग को छोड़ दें तो बस मार्ग की स्थिति भी वैसी ही है। बसों में भी सीट नसीब नहीं हो रहा है। जबकि टिकट का पूरा पैसा लेने के बाद भी यात्रियों को किसी तरह से बेंच में बैठाकर गंतव्य के लिए रवाना किया जा रहा है। हालत तो यह हो गई है कि तो बेंच पर बैठने के लिए भी मारा-मारी चल रही है।

(सौ स्वराज सवेरा)