#MNN@24X7 जन सुराज पदयात्रा के दौरान सारण में केंद्र सरकार की योजनाओं की विफलताओं को गिनवाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली योजना है मनरेगा। मनरेगा की योजना बिहार में जमीन पर कहीं दिखाई ही नहीं दे रही है। बिहार जैसे गरीब राज्य में जहां 60 प्रतिशत लोग भूमिहीन है, हजारों-लाखों लोग मजदूरी के लिए पलायन करने को मजबूर है। पदयात्रा से पहले मेरी अपनी सोच थी कि बिहार में जमीन पर बहुत ज्यादा संख्या मे लोग मनरेगा से जुड़े हुए मिलेंगे। लेकिन 160 दिन से अधिक पैदल चलने के बाद मैं आपको यह बता रहा हूं कि मुझे कहीं भी मनरेगा का कोई भी सक्रिय काम नहीं दिखा, जहां 40-50 मजदूर एक साथ काम कर रहे हो।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल बिहार में मनरेगा के 39 प्रतिशत पैसे का ही उपयोग हुआ है, बाकी बचे पैसे राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से लिया ही नहीं है। साथ ही जो पैसा आता है वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। लोगों द्वारा बताया गया है कि मनरेगा में 40 से 50 प्रतिशत पैसा पीसी के रूप में चला जाता है।