#MNN24X7 दरभंगा, कोविड-19 के दौरान प्राप्त सबक से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का संवर्धन और टीकाकरण के दौरान होने वाले अवांछित परिणामों, एफआर और डीपीटी सर्विलेंस पर विस्तृत चर्चा हेतु डब्ल्यूएचओ और दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के मेडिकल एजुकेशन यूनिट के संयुक्त तत्वाधान में पूरे दिन का वर्कशॉप 23 मार्च 2023 को दरभंगा मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
वर्कशॉप का उद्घाटन प्राचार्य डॉक्टर के एन मिश्रा, अधीक्षक डॉक्टर अलका झा, डब्ल्यूएचओ के एसटीएमएल डॉक्टर शेखावत भारतीय, एस एम ओ डॉ अमित मोहिते, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ ए के मिश्रा, आईएमए के स्थानीय अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार, शिशु रोग विभागाध्यक्ष सह आइ ए पी के स्थानीय अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार, कम्युनिटी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ एच के झा, पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष सह मेडिकल एजुकेशन यूनिट की कोऑर्डिनेटर डॉक्टर पूनम कुमारी और फिजियोलॉजी की विभागाध्यक्ष सह मेडिकल एजुकेशन यूनिट की पूर्व कोऑर्डिनेटर डॉ शीला कुमारी ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में दीप प्रज्वलन कर किया।
कार्यक्रम के दौरान मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश चंद्र मिश्रा माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ राम शंकर प्रसाद, टीवी चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ मोहन पासवान, शिशु विभाग के डॉक्टर रिजवान हैदर, एनाटॉमी विभाग के डॉक्टर गौरी शंकर झा, सर्जरी विभाग के डॉक्टर चंद्रा इत्यादि सहित 200 से ज्यादा फैकल्टी और रेजिडेंट सभागार में उपस्थित थे।
डब्ल्यूएचओ के स्टेट टीम लीड डॉक्टर शेखावत भारतीय ने कहा कि कोरोना हमें बहुत कुछ सिखा कर गया। इस अचानक आई महामारी से मानव को मुक्ति दिलाने में कोराना के वैक्सीन बहुत कारगर साबित हुए। परिस्थिति वश बिना पहले से की हुई तैयारी के हम लोगों ने बड़े स्तर पर टीकाकरण का कार्य किया, जिसके कारण कोरोना का प्रसार रुका। इस हेतु कोविन पोर्टल का इस्तेमाल किया गया, जिसने इतना अच्छा काम किया कि कहीं भी ना अफरा-तफरी मची और ना वैक्सीन की किल्लत हुई। इस पोर्टल पर हमें कई सौ करोड़ टीकाकरण के डाटा उपलब्ध हो पाए, जिनका उपयोग नियमित टीकाकरण को मजबूत बनाने के लिए किया जा सकता है।
डॉक्टर ओम प्रकाश ने कहा की किसी भी दवा की तरह टीका भी दवा है। अन्य दवाओं की तरह इसके भी अवांछित लक्षण आ सकते हैं। अवांछित लक्षण हल्के, गंभीर या सांघातिक हो सकते हैं, इसमें मृत्यु तक संभावित है। परंतु बहुत ही वैज्ञानिक एवं सुगठित सिस्टम द्वारा प्रचलन में लाने के पहले ही इन सब प्रभाव को न्यूनतम स्तर पर लाया जाता है और तब ही टीका को लाइसेंस दी जाती है। अवांछित परिणाम व्यक्तिजन्य, टीका जन्म, देने के तरीके की गलती, टीका के रखरखाव और अन्य कारणों से हो सकते हैं। एफ आई सर्विस इन्हीं कारणों के डायग्नोसिस से संबंधित है। इसके लिए एक प्रमाणिक सूचना पद्धति विकसित की गई है जिसकी जानकारी और उपयोग सभी डॉक्टरों द्वारा किया जाना जरूरी है। दुर्भाग्यवश अभी सिर्फ टीका के दुष्परिणाम से हुई मृत्यु को ही एफ आई के रिपोर्ट के दौरान दर्ज किया जाता है और उनका विश्लेषण किया जाता है।
डब्ल्यूएचओ के एसीएमओ डॉ अमित मोहिते ने कहा कि आवश्यकता है कि टीका के सभी अवांछित परिणामों को समय बद्ध तरीके से सूचित किया जाए, जिससे कि इसे ऊपर के स्तर तक पहुंचाया जाए और विश्लेषण किया जा सके। टीकाकरण को सुरक्षित बनाने में सर्विलेंस बहुत आवश्यक है।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर ए के मिश्रा ने बताया हम लोगों ने 2023 अंत तक मीजल्स के एलिमिनेशन का लक्ष्य रखा है। यह बहुत आवश्यक है कि बुखार के साथ जिन लोगों को दाने निकल आएं, उन्हें पहचानकर चिकित्सक जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को अवश्य सूचित कर दें। अगर जांच से यह पता चला कि वह मिजिल्स है तो वहां सघन टीकाकरण की व्यवस्था की जा सकेगी।
आज के वर्कशॉप के दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर ए के मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा कोविशील्ड वैक्सीन की केंद्रीय मुफ्त सप्लाई समाप्त कर दी गई है। अब राज्य सरकार द्वारा खरीदा गया कोवैक्सीन ही टीकाकरण के लिए प्रयोग किया जा रहा है। जिला में अभी उसकी भी डिमांड बहुत कम है और 100 से कम लोग रोज वैक्सीन के लिए आ रहे हैं। अन्य प्रदेशों में कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए प्रिकॉशनरी वैक्सीन डोज की आवश्यकता है। आशा है 1 सप्ताह से 10 दिन के भीतर ही कॉरवीबैगक्स दरभंगा जिला में उपलब्ध हो जाएगा, जिसे कोविशील्ड या कोवैक्सीन लिए व्यक्ति के प्रिकॉशनरी (बूस्टर) डोज के रूप में लगाया जा सकेंगा।
वर्कशॉप में उपस्थित प्रतिभागियों एवं अतिथियों का स्वागत मेडिकल एजुकेशन यूनिट की कोऑर्डिनेटर डॉ पूनम कुमारी ने किया। उन्होंने कहा एनएमसी के गाइडलाइंस के तहत मेडिकल एजुकेशन यूनिट द्वारा इस तरह के वर्कशॉप आयोजित किए जाने आवश्यक हैं। अपने उद्बोधन में प्राचार्य डॉक्टर के एन मिश्रा ने टीकाकरण के लिए जन जागरूकता पर बल दिया और ए एफ आइ के रिपोर्टिंग के लिए प्रेरित किया। अधीक्षक डॉ अलका झा ने भी इस तरह की वर्कशॉप की आवश्यकता को रेखांकित किया।उद्घाटन सत्र का मंच संचालन डॉक्टर आरफा अनम और धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रभात कुमार लाल ने किया।