‌‌-टीबी दिवस पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन।

-जिला यक्ष्मा केंद में यक्ष्मा रोगियों में सीडीओ ने पोषण- आहार का किया वितरण।

-सभी एचडब्ल्यू सी पर अगले 21 दिनों तक टीबी मरीजों की होगी खोज।

-2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य।

#MNN@24X7 मधुबनी, शुक्रवार 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस के मौके पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिले के सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, सभी पीएचसी, एपीएचसी तथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर विश्व टीबी दिवस मनाया गया. सदर अस्पताल में सुबह जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जीएम ठाकुर के द्वारा आईआईएच संस्था के सहयोग से यक्ष्मा मरीजों को पोषण – आहार वितरित किया गया। वहीं मंडल कारा में 100 से अधिक कैदियों की टीबी जांच की गयी ।

डॉ. ठाकुर ने बताया कि विश्व यक्ष्मा दिवस के उपलक्ष्य में जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर वर्ल्ड टीबी- डे मनाया गया तथा आगामी 21 दिनों ( 24 मार्च से 13 अप्रैल) तक टीबी की जांच व टीबी मरीजों की खोज की जाएगी। डॉक्टर फॉर यू के द्वारा पंडौल में हेल्थ कैंप का आयोजन किया गया। डीएफआईटी संस्था के द्वारा न्यूट्रिशन- डाइट का वितरण किया गया।

डॉ ठाकुर ने टीबी उन्मूलन एवं जागरूकता विषय पर विस्तार से बताया व कहा कि टीबी एक ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। यह किसी को भी हो सकता है। शुरुआत में इसके लक्षण भी सामान्य से ही दिखते हैं पर दो हफ्ते खांसी या बुखार हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं। टीबी संक्रमित होने की जानकारी मिलने के बाद किसी रोगी को घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि, लक्षण दिखते ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए। क्योंकिं यह एक सामान्य सी बीमारी है और समय पर जाँच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है। मरीज को पूरे कोर्स की दवा करनी चाहिए। इसके लिए अस्पतालों में मुफ्त समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

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इलाज के दौरान बेहतर पोषण के लिए दी जाती है सहायता राशि:

डीपीसी पंकज कुमार ने कहा टीबी के मरीजों को इलाज के लिए खर्च की चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकिं सरकार के द्वारा सहायता राशि दी जाती है। चिह्नित टीबी के मरीजों को उपचार के दौरान उनके बेहतर पोषण के लिए प्रति माह 500 रुपये की सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे खाते में भेजी जाती है।

2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य:

सिविल सर्जन डॉ ऋषिकांत पांडे ने बताया भारत सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 का वर्ष निर्धारित किया है। जिसके लिए ग्रास रूट पर कार्य करने की आवश्यकता है। वहीं लोगों को भी समेकित रूप से इसकी जागरूकता हेतु प्रयास करना होगा। प्रखंड में समुदाय स्तर तक स्वास्थ्य कर्मी तथा कई सहयोगी संस्थाएं कार्य कर रही और ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार करा रही है। जिससे टीबी पर विजय पाई जा सके।