#MNN@24X7 जन सुराज पदयात्रा के दौरान छपरा में मीडिया संवाद के दौरान बिहार की ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है, बिहार में समतामूलक शिक्षा व्यवस्था के नाम पर गांव-गांव में गुणवत्ता से समझौता कर खोले गए सरकारी स्कूल। आज स्कूलों में जो बच्चें व शिक्षक हैं और जो व्यवस्था है, उसमें कहीं कोई समायोजन नहीं है।
उन्होंने कहा कि जहां बिल्डिंग है, वहां शिक्षक नहीं हैं, जहां शिक्षक हैं, वहां बिल्डिंग नहीं है, और जहां दोनों हैं, वहां बच्चें नहीं हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि नियोजित शिक्षकों की वजह से स्कूलों की ये स्थिति है, पर यही हाल कॉलेजों का भी है। बिहार के कॉलेजों में बिल्डिंग है, नियमित शिक्षक हैं, और बच्चे भी हैं लेकिन पढ़ाई वहाँ भी नहीं हो रही है। कॉलेज में बच्चे एक बार नामांकन के लिए जाते हैं। दूसरी बार एडमिट कार्ड लेकर परीक्षा देते हैं, फिर डिग्री लेकर निकल जाते हैं। बिहार की शिक्षा व्यवस्था उत्क्रमित स्कूलों और नियोजित शिक्षकों का एक जाल है। यहां स्कूलों में सिर्फ खिचड़ी बांटी जा रही है और कॉलेजों में सिर्फ डिग्री बांटी जा रही है, पढ़ाई दोनों में से कहीं नहीं हो रही है।