#MNN@24X7 दरभंगा, इस मौके पर मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के माननीय कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह विशिष्ट अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0मुस्ताक अहमद एवं आई पी एस अधिकारी विकास वैभव थे। इस अवसर पर कॉलेज के सभागार कक्ष एवं बैंक परिसर का उद्घाटन किया गया, कॉलेज में स्थापित विश्व की सबसे ऊँची बाबू वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया, डॉक्टर ब्राह्मण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर प्रभाकर पाठक एवं विशिष्ट वक्ता के तौर पर डॉक्टर सतीश कुमार सिंह उपस्थित थे मंच संचालन की डॉक्टर रश्मि शर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग कर रही थी। सबसे पहले महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर लक्ष्मण प्रसाद जयसवाल ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों का स्वागत किया फिर उन्होंने वीर कुंवर सिंह के बलिदानों की चर्चा करते हुए किस तरह उन्होंने अपने एक हाथ को काट कर गंगा में बहा दिया और एक ही हाथ से अंग्रेजों को लोहे के चने चने चबाने पर मजबूर कर दिया पर विस्तार से जानकारी दी।
आगे उन्होंने कही जो भरा नहीं भाव से बहती जिसमें रसधार नहीं हृदय नहीं वह पत्थर है जिसमे राष्ट्र के प्रति प्यार नहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के हाथों दीप प्रज्वलित करके किया गया एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत एवं लोक गायिका ममता ठाकुर के द्वारा विश्वविद्यालय कुलगीत गाया गया इसके बाद मिथिला की परंपरा के अनुसार अतिथियों को शाल, साफा, तलवार, पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर भव्य स्वागत किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर प्रभाकर पाठक ने अपने भाषण में कुछ कविताओं की पंक्तियों के द्वारा बाबू वीर कुंवर सिंह की शक्तियों और उनके बलिदानों का वर्णन किया उसके बाद कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता डॉ सतीश कुमार सिंह ने अपने भाषण में कहा कि दानापुर कैंट के सिपाहियों ने जब बाबू वीर कुंवर सिंह से अनुरोध किया कि आप हमें अपना नेतृत्व प्रदान करें तो बाबू वीर कुंवर सिंह ने 80 वर्ष की अवस्था में भी उनको अपना नेतृत्व प्रदान किया और वहां से स्वतंत्रता संग्राम का एक नया अध्याय शुरू हुआ बाबू वीर कुंवर सिंह का संघर्ष मात्र जगदीशपुर के लिए नहीं था उन्होंने जो लड़ाई लड़ी उसका पूरा क्षेत्र आरा, आजमगढ़, बलिया, गोरखपुर, लखनऊ तक फैला हुआ था।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि IG विकास वैभव ने अपने भाषण में कहा कि मिथिलांचल के लिए यह गर्व की बात है कि इस धरती पर वीर कुंवर सिंह जैसे सपूत पैदा हुए जिन्होंने 80 साल की अवस्था में भी अंग्रेजों को अपनी शक्ति का लोहा मनवाया हमें उनके जीवनी से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मुस्ताक अहमद कुलसचिव ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने अपने भाषण में कहा कि अंग्रेजों की यह सोच थी कि अगर हम भारत पर अधिक दिनों तक राज करना चाहते हैं तो हमें वहां के लोगों की एकता को खत्म करना होगा और विक्टोरिया ने भी कहा था कि अगर हम भारत पर अधिक दिनों तक राज करना चाहते हैं तो यहां की जनता में धार्मिक जहर की तरह धीरे-धीरे फैला देना होगा । लेकिन बाबू वीर कुंवर सिंह ने यहां की एकता एवं अखंडता को बनाए रखें और सभी धर्मों का सम्मान किया।
इसके बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह माननीय कुलपति ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने अपने भाषण में कहा कि हमें बाबू वीर कुंवर सिंह की तरह सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि सकारात्मक ऊर्जा निरंतर बढ़ते चली जाती है उसके बाद कॉलेज के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ शंभू कांत झा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं को धन्यवाद दिया कार्यक्रम के अंतिम में राष्ट्रगान गाया गया।
कार्यक्रम में विभिन्न कॉलेजों और यूनिवर्सिटी से आए हुए सम्मानित अतिथि भी मौजूद थे जैसे प्रो.दिलीप चौधरी प्रिंसिपल सी एम सांइस कॉलेज दरभंगा, सुरेंद्र सिंह,कामेश्वर पासवान, डॉ अशोक कुमार सिंह, बी.बीएल.दास, अशोक पोद्दार प्रिंसिपल सी एम कॉलेज दरभंगा,आदिल बेलाल डिप्टी एसपी रोहतास, कामेश्वर सिंह, महेश्वर सिंह एवं सैकड़ों छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में उपस्थित थे कार्यक्रम की सफलता में डॉक्टर राकेश रंजन सिंहा, डॉक्टर अनुरूध प्रसाद, डॉ जय कुमार झा, प्रोफेसर मनसा सुल्तानिया, डॉ.रामअवतार प्रसाद, डॉ.अभिनव श्रीवास्तव और हर्षवर्धन सिंह विनोद सिंह और सभी शिक्षक शिक्षिकाएं एवं शिक्षकेतर कर्मी का योगदान रहा है।