राष्ट्रीय मानव शोध संस्थान एवं चौपाल जाति महासंघ के तत्त्वावधान में परिचर्चा आयोजित।

न्यायालय के आदेश से चौपाल जाति को मिला अनुसूचित जाति का दर्जा- डा रामबाबू।

चौपाल को जातिगत जनगणना से मिलेगा राजनीतिक भागीदारी एवं सरकारी हिस्सेदारी- अमित आर्यन।

#MNN@24X7 दरभंगा, आज दिनांक 23 अप्रैल रविवार को राष्ट्रीय मानव शोध संस्थान एवं चौपाल जाति महासंघ के संयुक्त तत्त्वावधान में “चौपाल जाति के संघर्ष में जाति आधारित जनगणना का प्रभाव” विषयक एक परिचर्चा ग्राम चिकनी, सोनकी, दरभंगा में संस्थान के बहादुरपुर प्रखंड अध्यक्ष रामप्रवेश चौपाल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। परिचर्चा का संचालन सामाजिक नेतृत्वकर्ता राजकिशोर चौपाल ने किया ।

परिचर्चा को संबोधित करते हुए संस्थान एवं चौपाल जाति महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अधिवक्ता डॉ रामबाबू चौपाल ने कहा कि मुंगेरीलाल आयोग के अस्तित्व में आने के बाद चौपाल अनुसूचित जाति की एक उपाधि खतवे को अति पिछड़ी जाति की सूची में अंकित होने के कारण चौपाल तथा खतवे के बीच सरकारी द्वंद को राज्य सरकार विभिन्न जांचों के उपरांत माननीय उच्च न्यायालय, पटना के आदेश से बिहार के अति पिछड़ी जाति की सूची से खतवे को विलोपित कर पूर्व की भांति चौपाल अनुसूचित जाति में समायोजन कर अनुसूचित जाति की सुविधा प्रदान किया गया। यदि न्यायालय नहीं होता तो यह अधिकार कतई संभव नहीं था। इस संघर्ष में समाज के कई महान लोगों का सहयोग रहा है।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डॉ आर एन चौरसिया ने मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन माध्यम से कहा कि कोई भी समाज शिक्षा के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है, क्योंकि यह विकास की अद्भुत कुंजी है जो हर प्रकार की सफलता का द्वार खोलता है। स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी आज चौपाल जाति सामाजिक विकास की दौड़ में काफी पीछे है पर संतोषजनक बात है कि यह समाज भी आज बदलाव हेतु कठिन संघर्ष कर रहा है। चौपाल समाज की मुख्य समस्या गरीबी शिक्षा तथा जागरूकता का अभाव है। जातीय जनगणना से चौपाल जाति के संघर्ष पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे सरकार तथा सामाजिक नेतृत्व कर्ता को कल्याणकारी एवं विकासात्मक योजना बनाने में सुविधा होगी। इससे चौपाल जाति सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक व राजनीतिक आदि सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ेगी। इसका लाभ न केवल चौपाल जाति, बल्कि संपूर्ण समाज को और अंततः पूरे राष्ट्र को मिलेगा।

डा चौरसिया ने परिचर्चा आयोजकों को बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि इससे पूरे समाज को शिक्षा सहित अन्य सभी क्षेत्रों में भी लाभ होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता अमित कुमार आर्यन बताया कि वर्तमान जाति आधारित जनगणना में जाति के सभी लोग पूर्णतः सक्रिय होकर अपने जाति में चौपाल तथा जाति कोड- 66 लिखवाए, क्योंकि जाति जनगणना प्रतिवेदन में अंकित चौपाल जाति की संख्या के आधार पर ही इस समाज को राजनीतिक, सामाजिक एवं सरकारी हिस्सेदारी मिलेगा। समाजसेवी मनोज कुमार चौपाल ने बताया कि चौपाल जाति की संगठनिक शक्ति से ही जाति का विकास संभव है।

उच्च न्यायालय, पटना के अधिवक्ता डॉ आलोक रंजन ने बताया कि चौपाल जाति के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना आवश्यक है। परिचर्चा को धर्मेन्द्र चौपाल, सुरेन्द्र चौपाल, विक्रम चौपाल, सुनील चौपाल, डोमू चौपाल, ललित चौपाल एवं विशो चौपाल आदि दर्जनों वक्ताओं ने भी संबोधित किया।