#MNN@24X7 दरभंगा, आज 24 अप्रैल को स्नातकोत्तर भूगोल विभाग, ल० ना० मिथिला विश्वविद्यालय के द्वारा पृथ्वी दिवस पर विभिन्न कार्याक्रमों का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम कुलपति प्रो० डॉ० एस०पी० सिंह, समाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष, प्रो० पी०सी० मिश्रा, मुख्य अतिथि एवं बीज वक्ता प्रो०टी०झा अचल, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति में सुबह 10:30 बजे नरगौना परिसर स्थित बाग में वृक्षा रोपण से कार्यक्रम को प्रारम्भ किया गया।
कुलपति एवं गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में अनेको पौधे लगाये गये एवं लगाये गये पौधों को गोद लेने की बात कही गयी। जागरूकता फैलाने और धरती माता की रक्षा के लिए हम हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाते हैं। इस वर्ष पृथ्वी दिवस का मुख्य विषय “हमारे ग्रह में निवेश था।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह, सामाजिक विज्ञान के डीन पी.सी. मिश्रा, भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय नाथ झा और डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर विजय कुमार यादव की उपस्थिति। उन्होंने जीवित ग्रह पृथ्वी की रक्षा के बारे में बात की और छात्रों और शिक्षकों को ग्रह की रक्षा की आवश्यकता पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने स्पष्ट रूप से “जल जीवन और हरियाली” की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भूगोल विभाग द्वारा गोद लिए गए समर्पित क्षेत्र में कई पौधे रोपे गए। बाद में मुख्य अतिथि पी. सी. मिश्रा (डीन सामाजिक विज्ञान), भूगोल विभाग के प्रमुख डॉ विनय नाथ झा, मुख्य वक्ता प्रोफेसर टुनटुन झा अचल, डॉ अनुरंजन, डॉ रश्मी शिखा को डॉ मनु राज शर्मा और डॉ एस. के. सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की एंकरिंग डॉ. रश्मि शिखा ने की। उन्होंने छात्र को संबोधित करने के लिए विभिन्न गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया) डॉ विनय नाथ झा ने पृथ्वी की रक्षा करने और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता के
बारे में बताया ताकि युवा पीढ़ी पृथ्वी की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभा सके। मुख्य वक्ता डॉ टुनटुन झा अचल ने पृथ्वी की वहन क्षमता और जनसंख्या के बोझ पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि मानव ने अपने लालच के कारण धरती माता को नग्न कर दिया है और सतत विकास का अभ्यास
करने की बात कही है। उन्होंने वृक्षारोपण और प्रदूषण को कम करने पर जोर दिया। डॉ अनुरंजन ने जनसंख्या की समस्या, कृषि भूमि के नुकसान, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बताया। उन्होंने संसाधन प्रबंधन और राजनीतिक स्थिरता, गांधी को अपनाने और भविष्य की आपदा को रोकने के लिए उनकी कार्रवाई का अभ्यास करने के बारे में भी बात की।
डॉ. सुनील कुमार सिंह ने पर्यावरण जागरूकता, मनुष्य के जीवित रहने की खोज, तीन आर (कम करें,
पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग) के बारे में जागरूकता जगाने में साइलेंट स्प्रिंग की भूमिका के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को किस एक स्थान का अभ्यास करना चाहिए और हिप्पोक्रेटिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने मदर टेरेसा का उदाहरण दिया और संसाधनों के उपयोग को कम करने की बात कही। धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी सोनू कुमार दास ने किया, बाद में डॉ. अनुरंजन ने छात्र-छात्राओं को भविष्य में
होने वाली पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता और विभाग में आयोजित होने वाले भाषण के बारे में विस्तार से बताया।