#MNN@24X7 दरभंगा नगर। मैथिली के शीर्षस्थ साहित्यकार एवं विद्वान शिक्षक डॉ दयानंद झा की पुण्य स्मृति में हिंदी समाहार मंच के तत्वावधान में शुभंकरपुर स्थित आशुतोष -स्मृति निकेतन, दरभंगा के सभाकक्ष में रविवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष अखिलेश कुमार चौधरी ने की, जबकि संचालन मंच के सचिव अमिताभ कुमार सिन्हा ने किया। इस मौके पर हिंदी एवं मैथिली के प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रेश ने कहा कि दयानंद झा निर्भीक, स्वाभिमानी और विद्वत साहित्यकार थे। वह कवि एवं आलोचक थे। जीवन की धुकधुकी उनके काव्य में सर्वत्र व्याप्त है, जिसके कारण वे दृष्टिवंत साहित्यकार थे।
इस अवसर पर बोलते हुए सीए सुरेश झा ने कहा कि वह बहुत ही संवेदनशील विद्वान थे, जिनसे हमने जीवन में बहुत कुछ सीखा। कार्यक्रम में स्वर्गीय दयानंद झा के शिष्य डॉ विजय शंकर झा ने इस अवसर पर भावुक शब्दों में कहा कि वे साहित्यकार प्राध्यापक थे तथा सीएम कॉलेज में अपने विषय मैथिली के अध्यापन के प्रति बहुत ही समर्पित थे। बाल साहित्यकार डॉ सतीश चंद्र भगत ने कहा कि सत्य सत्ता हमेशा से रही है। डॉ दयानंद झा ने इसका सत्यापन अपने काव्य संग्रह जीवन -दर्पण में किया है।
इस अवसर पर संचालन के क्रम में हिंदी समाहार मंच के सचिव अमिताभ कुमार सिन्हा ने उनके जीवन और साहित्य पर पूर्ण प्रकाश डाला। इस मौके पर बोलते हुए आशुतोष कुमार वर्मा ने कहां कि उनकी रचनाओं के अध्ययन- मनन से अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन मिलता रहेगा। मंच के अध्यक्ष अखिलेश कुमार चौधरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि डॉ दयानंद झा की मृत्यु मैथिली साहित्य की अपूरणीय क्षति है।
कार्यक्रम में हिंदी समाहार मंच के मीडिया प्रभारी पुनीत कुमार सिन्हा, डॉ हीरालाल सहनी, आशीष अकिंचन, शेखर कुमार श्रीवास्तव, भारती रंजन कुमारी, डॉ विश्वनाथ ठाकुर, राम सुंदर राउत, संतोष दिवाकर, रमन कुमार झा आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।