#MNN@24X7 दरभंगा, मैथिली कला, साहित्य व सिनेमा जगत के महानायक रवींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि पर वृहस्पतिवार को विद्यापति सेवा संस्थान ने उन्हें भावपूर्ण नमन किया। मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मैथिली कला, साहित्य व सिनेमा जगत के अनमोल हस्ताक्षर रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने पीजी की पढ़ाई पूरा करने के बाद बिहार सरकार के वित्त विभाग में नौकरी करते हुए मैथिली साहित्याकाश को जो ऊंचाई दी, वह हमेशा प्रशंसनीय और अनुकरणीय बना रहेगा.
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकान्त झा ने कहा कि मैथिली अकादमी के क्रमश: सहायक निदेशक एवं निदेशक के रूप में उनका योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने कहा कि मैथिली फिल्म ममता गाबय गीत में एक गीतकार के साथ-साथ फिल्म निर्माण में इनकी भूमिका हमेशा यादगार बनी रहेगी।
प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि वे एक अच्छे रचनाकार होने के साथ-साथ अनुपम गायक भी थे। उनकी और महेंद्र जी की जोड़ी को सुनने के लिए लोग हमेशा आतुर रहते थे. इस अवसर पर मणिकांत झा ने कहा कि रवीन्द्र जी मातृभाषा की समृद्धि के लिए साहित्य सृजन को एक महत्वपूर्ण कारक मानते थे। यही कारण था कि वे जीवन पर्यंत न सिर्फ नए-नए गीतों का सृजन करते रहे, बल्कि उनकी अनेक कालजयी रचनाओं में मैथिली की आत्मा बसती है.
डा महेंद्र नारायण राम ने कहा कि मिथिला विभूति, मिथिला रत्न एवं प्रबोध सम्मान आदि से सम्मानित रवींद्र जी उत्कृष्ट गीतकार होने के साथ-साथ मैथिली में युगल गायन परंपरा के प्रवर्तक थे। मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि अर्थपूर्ण रचनाओं का सृजन करने वाले रवीन्द्र जी कवि कोकिल विद्यापति के बाद की पंक्ति के श्रेष्ठ गीतकारों में शामिल थे। वह एक ऐसे युग प्रवर्तक रचनाकार थे जिनकी रचनाएं मैथिली भाषी लोगों के हृदय में हमेशा विराजमान रहेगी।
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि वे ऐसे धरोहर कवि थे, जिनकी रचनाएं युवा पीढ़ी के कवियों के लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। उनकी पुण्यतिथि पर प्रो विजय कांत झा, विनोद कुमार झा, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढाभाई, डा उदय कांत मिश्र, दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा, डा ममता ठाकुर, डा सुषमा झा, आशीष चौधरी, मनीष झा रघु, पुरुषोत्तम वत्स आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।