‘रिसेंट ट्रेंड्स एंड फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स इन फूड एंड हेल्थ सिक्योरिटी’ विषयक कॉन्फ्रेंस का विश्वविद्यालय जुबली हॉल में होगा आयोजन।

कॉन्फ्रेंस में भारत सहित अमेरिका, नाइजीरिया, श्रीलंका तथा नेपाल आदि के विद्वानों की होगी सहभागिता।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में विज्ञान संकायाध्यक्ष, बॉटनी विभागाध्यक्ष, आयोजन सचिव सहित विभागीय शिक्षकों की हुई सहभागिता।

#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आगामी 26- 27 मई को “रिसेंट ट्रेंड्स एंड फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स इन फूड एंड हेल्थ सिक्योरिटी” विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन जुबली हॉल में किया जाएगा, जिसमें भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वानों के साथ ही अमेरिका, नाइजीरिया, श्रीलंका तथा नेपाल आदि के अनेक विद्वान भी भाग लेकर अपने बहुमूल्य वक्तव्यों से शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाएंगे।

कॉन्फ्रेंस संबंधि विविध जानकारी देने के उद्देश्यों से वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आज प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो प्रेम मोहन मिश्रा, विभागाध्यक्ष प्रो शहनाज जमील, विभागीय प्राध्यापक- डा गजेन्द्र प्रसाद, डा ख्वाजा सलाहउद्दीन, डा अंकित कुमार सिंह, कर्मी हेमंत कुमार झा, गंगेश्वर, रंजीत, मेख बहादुर तथा अब्दुल अंसारी के साथ ही डा आर एन चौरसिया तथा मंजीत कुमार चौधरी आदि उपस्थित थे।

अवसर पर आयोजकों द्वारा कॉन्फ्रेंस से संबंधित ब्रोशर का भी विमोचन किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह कांफ्रेंस के मुख्य संरक्षक, प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा उप मुख्य संरक्षक, कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद संरक्षक तथा डा गजेन्द्र प्रसाद कोऑर्डिनेटर बनाए गए हैं। कांफ्रेंस के सफल संचालन हेतु कार्यकारिणी समिति तथा सलाहकार समिति का भी गठन किया गया है।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रो प्रेम मोहन मिश्र ने कहा कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों को जीने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, पर मनुष्य को खुश रहने के लिए स्वास्थ्य अच्छा होना अनिवार्य है। वर्तमान समय में भोजन में काफी मिलावट होने का कुप्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, जिसकी जानकारी आमलोगों को नहीं है। इस कॉन्फ्रेंस में देश- विदेश के विद्वान वक्ता भाग लेकर स्वास्थ्य रक्षा की चुनौतियों एवं उनके परिमार्जन के उपायों पर अपना विचार रखेंगे जो काफी प्रासंगिक होंगे।

सेमिनार की संयोजिका प्रो शहनाज जमील ने कहा कि आज भारत अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन एवं मिलावटी खाद्य- सामग्री आदि शामिल हैं। भारत की लगभग 14.8 % जनसंख्या कुपोषित है। वहीं एक चौथाई जनता गरीबी से जूझ रही है जो पोषण युक्त भोजन ग्रहण न करने के कारण कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।

डॉ गजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनना है तो उसे अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। कान्फ्रेंस में मूल शीर्षक के अतिरिक्त अन्य विभिन्न उपशीर्षकों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

डा ख्वाजा सलाहउद्दीन ने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस में अधिक से अधिक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उत्साह पूर्वक भाग ले रहे हैं, क्योंकि इसमें काफी संख्या में विदेशी विद्वान भी भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि शोध सारांश 20 मई तक तथा पूर्ण लेख 25 मई तक स्वीकार किए जाएंगे। ने बताया कि कान्फ्रेंस में भाग लेने के लिए छात्रों को ₹600, शोधार्थी के लिए 1,200 सौ रुपए तथा शिक्षा के लिए ₹2,000 निर्धारित हैं।

डा अंकित कुमार सिंह ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस से हमारे युवा शोधार्थियों के साथ ही अन्य सभी लोगों को काफी लाभ होगा इससे विश्व में खाद्य एवं स्वास्थ्य से संबंधित उन्नति के बारे में लोगों को जानकारी मिलेगी। उन्होंने बताया कि कॉन्फ्रेंस हेतु एक सौ से अधिक पंजीयन हो सकता हो चुका है, जबकि अब पंजीयन की गति तीव्र हो गई है। ऑनलाइन पंजीकरण की भी सुविधा है। इच्छुक सहभागी मो नंबर- 9835 616383, 9934 022 911, 9668816209 तथा 70 80 88 1643 पर संपर्क किया जा सकता है।