#MNN@24X7 दरभंगा ,16 सितंबर अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने चेतावनी दी कि अगर शीध्र पुरानी पेंशन बहाली और ठेका संविदा कर्मियों की रेगुलराइजेशन आदि मांगों का समाधान नहीं किया तो 3 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली में निर्णायक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि 3 नवंबर को दिल्ली में होने वाली कर्मचारी रैली ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगी। जिसमें लाखों की तादाद में केन्द्र एवं राज्य कर्मचारी शामिल होंगे। जिसकी सभी राज्यों में व्याप्त तैयारियां की जा रही है और कर्मचारियों में रैली को लेकर भारी उत्साह है।

सुभाष लांबा ने यह दावा रैली की तैयारियों को लेकर बृहस्पतिवार को ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित कर्मचारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए किया। रैली की तैयारियों को लेकर 9 अगस्त से शहीद स्मारक पटना से शुरू हुआ कर्मचारी जत्था शनिवार को बलिया , बेगूसराय, तेघड़ा, समस्तीपुर व मधुबनी होते हुए दरभंगा ट पहुंचा। जहां सैकड़ों की संख्या में मौजूद कर्मचारियों ने गगनभेदी नारों के साथ जोरदार स्वागत किया।

जत्थे में आल इंडिया सेंटर की ओर से अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, कोषाध्यक्ष शशीकांत राय, बिहार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष नीलम कुमारी, महामंत्री सुबेश सिंह, पूर्व राज्य अध्यक्ष लक्ष्मीकांत झा,उपाध्यक्ष रामकुमार झा, राज्य संयुक्त महामंत्री संजीव ठाकुर व मधुबनी जिला मंत्री गणपति झा आदि शामिल थे। श्री लांबा ने चेतावनी दी कि अगर पुरानी पेंशन बहाली, संविदाकर्मियों का नियमितीकरण, आठवें वेतन आयोग का गठन,18 महीने के बकाया डीए,खाली पदों पर बहाली व पीएसयू के निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगों की अनदेखी की तो लोकसभा चुनाव में भाजपा व सहयोगी दलों को केंद्र एवं राज्य कर्मियों एवं उनके परिजनों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।

कर्मचारी सम्मेलन की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष शांति देवी ने की और संचालन जिला मंत्री फूल कुमार झा ने किया। बिहार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महासचिव सबेश सिंह व राज्य अध्यक्ष नीलम कुमारी ने कहा कि बिहार से हजारों की संख्या में कर्मचारी 3 नवंबर को दिल्ली रैली में शामिल होंगे। जिसके लिए सभी जिलों में वाहन जत्थे चलाए जा रहे हैं। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा व कोषाध्यक्ष शशीकांत राय ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग की लगातार अनदेखी कर रही है।

उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के विभागों और पीएसयू में करोड़ों पद रिक्त पड़े हुए हैं। बेरोजगारी चरम पर पहुंच जाने के बाद भी सरकार इन पदों पर स्थाई बहाली नहीं कर रही है। सरकार नेशनल मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत जनता के खून पसीने और टैक्स पेयर्स के पैसे से खड़े किए गए सरकारी विभागों एवं पीएसयू को निजी हाथों में बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक आठवें वेतन आयोग का गठन तक नहीं किया गया है, जबकि कर्मचारियों पर जनवरी 2026 से यह लागू किया जाना है।

उन्होंने कोविड 19 में रोकें गए 18 महीने के डीए का अभी तक भुगतान न करने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमने किए जा रहे हैं और यूनियनों एवं एसोसिएशन की मान्यता रद्द की जा रही है। मजदूरों द्वारा संधर्षो के बल पर हासिल किए गए श्रम कानूनों को समाप्त कर चार लेबर कोड्स बना दिए गए हैं।