#MNN@24X7 बुलंदशहर, भारत सरकार का साक्षर भारत मिशन रंग ला रहा है,जिसमें सरकार 15 साल या उससे अधिक की आयु के सात करोड़ लोगों को कार्यात्मक साक्षरता देने का लक्ष्य रखा गया है।साक्षर भारत मिशन निरिक्षरों को साक्षर बना रहा है।खास बात ये है कि सरकार के इस मिशन में वो लोग भी साक्षर हो पा रहे हैं जो जागरूकता की कमी या फिर तंगहाली की वजह से निरक्षर ही वृद्ध हो गए।ऐसी ही एक तस्वीर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले से सामने आई। यहां वृद्ध महिला ने भी शिक्षा पाने की ठानी और नव साक्षर परीक्षा भी दी है।
92 वर्षीय सलीमन की कहानी।
92 वर्षीय बुलंदशहर की रहने वाली सलिमन बचपन से ही पढ़ना चाहती थीं, लेकिन परिवार का इस ओर ध्यान नहीं गया।सलीमन का 14 साल की उम्र में निकाह कर दिया गया।निकाह के बाद सलीमन ग्रहस्ती में ऐसे उलझीं कि पढ़ने का सपना दफन हो गया।एक समय था जब सलीमन मामूली नोटों का हिसाब तक नहीं जोड़ पाती थीं, लेकिन नव भारत साक्षर अभियान ने अब उन्हें ना केवल गिनती गिनने लायक साक्षर बना दिया बल्कि अब वह अपने हस्ताक्षर समेत अक्षरों को पहचान और लिख सकती हैं।
कांपते हुए हाथों से लिखा परीक्षा में जवाब।
बता दें कि नव भारत साक्षर कार्यक्रम के तहत जिले में नव साक्षर परीक्षा आयोजित कराई गई। इसमें 92 वर्षीय सलीमन ने भी कांपते हाथों से पैंसिल थामी और सवालों का जवाब लिखा। परीक्षा में चित्र आधारित सवाल पूछे गए और इस दौरान अन्य लोगों ने भी उत्साह के साथ परीक्षा दी। सदर ब्लॉक के चावली गांव में परिषदीय स्कूल में 92 वर्षीय सलीमन परीक्षा में शामिल हुईं और उत्तर पुस्तिका में सवालों का जवाब दिया।परीक्षा देकर जब सलीमन बाहर निकली तो उनका उत्साह देखने के लायक था।
बीएसए के मुताबिक जिले में 19,975 लक्ष्य के सापेक्ष 21,000 असाक्षरों का चिह्नित किया गया था। इसमें से 7,263 नव साक्षरों की 19 मार्च को परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा के लिए 2,863 नव साक्षर पंजीकृत थे और जिला कारागार सहित 267 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित कराई गई थी।
(सौ स्वराज सवेरा)