●दूसरे गांधी के रूप में 20 वीं सदी के अवतार थे जननायक कर्पूरी ठाकुर:- उप-परीक्षा नियंत्रक, डॉ. मनोज कुमार।
●शोधार्थियों के लिये कर्पूरी जी का पूरा जीवन ही शोध है:- डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा।
●राजनीति विज्ञान विभाग में आयोजित हुआ कर्पूरी ठाकुर का जन्मशताब्दी समारोह।
#MNN@24X7 लनामिवि दरभंगा, आज दिनांक 24 जनवरी 2024 को विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में जननायक कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी के मौके पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जन-जन के नेता थे। आज देश-दुनिया में खासकर सामान्यतया विधायिका में आप देखेंगे कि भोग-विलास, ऐशो-आराम व भौतिकवादी सुख अपने पराकाष्ठा पर है लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने साबित कर दिया कि जब प्रजा के सुख के बिना राजा को सुख नहीं करना चाहिये। प्रजा का सुख ही राजा का सुख है। कर्पूरी जब बिहार के मुख्यमंत्री का कमान संभाला था तब बिहार देश की रफ्तार से काफी पीछे था। उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन प्रजा के समृद्धि के लिये न्योछावर कर दिया। वे पिछड़ा, दलित, वंचितों और शोषितों के आवाज थे। उनके सादगी भरी जीवन का यह परिचय है कि जब आप मौजूदा दौर में देखेंगे कि आज के राजनीति में अधिकांश नेताओं का स्विस बैंक में अकाउंट, देश के कई मेट्रो शहरों में घर-जमीन व इंडस्ट्री में लगा अंबार पैसा होता है। आये दिन ईडी से लेकर सीबीआई के छापे पड़ते रहते हैं। वहीं दो-दो बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद पटना से लेकर समस्तीपुर तक बंगला तो दूर एक अदद पक्का घर व एक गाड़ी तक व पहनने के लिये ठीक से कपड़ा तक नहीं था। आगे उन्होंने विस्तार से उनके पूरे जीवन व कार्यकाल पर प्रकाश डाला।
वहीं मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) सह विभाग के युवा व्याख्याता डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर 20 वीं सदी के अवतार थे। अगर सही मायनों में देखा जाय तो उन्हें दूसरे गांधी का उपाधि दिया जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। समाज में जाति के बीच की खाई को उन्होंने न केवल पाटने का काम किया बल्कि पिछड़े वर्ग को समाज के अग्रिम पंक्ति में लाने के लिये उन्होंने नौकरी में आरक्षण देकर पिछड़े समाज के उत्थान में बिहार ही नहीं बल्कि देश स्तर पर एक बड़ी लकीर खींच दी। आज देश में जितने समाजवादी नेता हैं सब कहीं न कहीं उन्हीं के द्वारा खींची लकीर पर काम कर रहे हैं। भारत सरकार ने कल ही उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने का घोषणा किया है। भारत सरकार के इस कदम का चहुंओर प्रशंसा हो रहा है। भारत सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न देकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है। उनका पूरा जीवन आज के राजनेताओं के लिये अनुकरणीय है। सिर्फ कर्पूरी ठाकुर जी का जन्मशताब्दी ही मनाना नहीं चाहिये बल्कि उनके नक्शेकदम पर चलने का आज के राजनेताओं को प्रण लेना चाहिये जिससे समाज के आज के युवावर्गों में राजनीति के प्रति निराशावादी सोच के जगह आशावादी सोच अंकुरित हो सके।
वहीं विभाग के वरीय शिक्षक डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा ने वहां उपस्थित छात्र-छात्राओं व शोधार्थियों से कहा कि कर्पूरी जी के जीवन पर आपलोग अनेकों शोध कर सकते हैं। खासकर शोधार्थियों के लिये कर्पूरी जी का पूरा जीवन ही शोध है। उनके सादगी से भरे जीवन का निचोड़ आमलोगों तक लाना राजनीति विज्ञान के शोधार्थियों का कर्तव्य है।
इस अवसर पर हिंदी विभाग के डॉ आंनद प्रकाश गुप्ता, एमएलएसएम कॉलेज के हिंदी विभाग के डॉ ज्वाला चंद्र चौधरी, महात्मा गांधी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के शिक्षक अविनाश कुमार, शोधार्थी जितेंद्र कुमार आदि ने विचार व्यक्त किया वही विभागीय शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन ने मंच का संचालन किया और शोधार्थी आशुतोष पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया दर्जनों छात्र-छात्रा व शोधार्थी उपस्थित थे।