#MNN@24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र, जाले, दरभंगा द्वारा जाले प्रखंड के कछुआ गांव में में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक विधिंसे प्राकृतिक खेती करने के लिए 2 दिवसीय प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ समापन। प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए प्रशिक्षण संयोजक ने बताया कि इस प्रशिक्षण में 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण में किसानों को खतरनाक रसायन के इस्तेमाल से मनुष्य के शरीर एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर होने वाले दुष्प्रभाव को भी विस्तार से बताया गया तथा विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों का फलों के ऊपर प्रभावों को भी बताया गया. देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र में पाए जाने वाले १६ पोषक तत्वों का केला कि फसल में बंच फीडिंग (घैर पोषकता) में सही से उपयोग एवं अन्य फसलों में भी प्राकृतिक खेती के तत्त्व जैसे जीवामृत एवं बीजामृत के प्रयोग से होने वाले लाभों को बताया गया।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने प्राकृतिक खेती में उपयोग आने वाले विभिन्न प्रकार के मूलभुत्व तत्त्व जैसे ब्रह्मास्त्र, नीमास्त्र, जीवामृत, बीजामृत, फफूंद नाशक दवा इत्यादि बनाने की विधि का प्रयोगात्मक तरीके से बताया तथा इसको प्रयोग करना भी सिखाया। प्राकृतिक खेती में किसानों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों का अध्ययन कराया गया। केंद्र में कार्यरत शस्य विज्ञान विषय के वरीय शोधकर्ता लोकेंद्र ने प्रयोगात्मक तरीके से सभी तत्वों जैसे बीजामृत, जीवामृत इत्यादि को बनाने का तरीका भी सिखाया और प्रशिक्षु किसान ने प्राकृतिक खेती करने का आश्वासन भी दिया।