#MNN@24X7 दरभंगा, समाहार साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था की ओर से पच्चीसवाॅ हुड़ार महोत्सव का आयोजन राघवश्री” मुहल्ला-जुरावन सिह, दरभंगा में अखिलेश कुमार चौधरी की अध्यक्षता में किया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आशुतोष द्विवेदी एवं विशिष्ट अतिथि नगर निगम पार्षद सोनी देवी एवं मंचस्थ अतिथि ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
प्रथम सत्र में कार्यक्रम के संयोजक कामेश्वर कुमार ओझा ने अतिथियों का स्वागत किया।तत्पश्चात मंच के सचिव अमिताभ कुमार सिन्हा ने अध्यक्ष सह सभा में उपस्थित सदस्यों के बीच नगर हुड़ार हेतु रेवती रमण पाठक के नाम की घोषणा की।
निवर्तमान नगर हुड़ार हीरा लाल सहनी ने रेवती रमण पाठक को पादुका सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर मुख्य अतिथि आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि होली हमारी सांस्कृतिक एकता का महापर्व है।वहीं वरिष्ठ पत्रकार अमरेश्वरी चरण सिन्हा ने कहा कि होलिकादहन का सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है।इसी को ध्यान में रखकर प्रेम के इस पर्व को हुड़ार महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
सीटी फ्रंट के संपादक नवीन कुमार ने कहा कि समाहार मंच का यह कार्यक्रम अद्भुत है।सामाजिक समरसता बनाए रखने का पर्व है। उपाध्यक्ष अरूण कुमार वर्मा ने कहा कि- सामाजिक सौहार्द का पर्व है होली। भारतीय ग्राहक पंचायत के जिला सचिव अजित कुमार ने कहा कि- हमारी जबाब देही की इसे बदरंग होने से बचाए रखें।
द्वितीय सत्र में भारती रंजन कुमारी के सफल संचालन में हास्य व्यंग्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।इस अवसर पर द्वितीय सत्र में हास्य व्यंग्य कवि सम्मेलन में श्रीमती नैना साहू ने “कान्हा विचरते हैं प्रेम की अठखेली में, भंग राधा जानती है होली में “गा कर होली का मूड बना दिया। विनोद हसौड़ा ने ” घिर गया मैं सालियों के जाल में, बड़ा मजा आया ससुराल में “प्रस्तुत किया।
सूबेदार नवल किशोर साहु ने” गोरी के गाल पर मल गुलाल रे, मारो पिचकारी कर वाले लाल रे” गाकर शमा जलाये दिया।
डा सतीश चन्द्र भगत ने “पेड़ों पर फलते रसगुल्ले तोड़ तोड़ कर हमसब खाते एवं मनभेद मिटायें होली में प्रस्तुत किया।
श्री उदय शंकर चौधरी” नादान ” ने “मिथिलपुर आजु मचे होरी ” सुनाया।
श्री सौम्य कुमार विभु ने”तुम हो अलमस्त वासंती बयार, मैं उतुंग शिखर से प्रेम सुधा बरसाऊ”कहते हुये प्रेमिका का आह्वान किया।
श्री महाकान्त प्रसाद ने”होली खेलते हैं चंचल चितवन, नैन मटक्का जोड़ा जोड़ी संग मितवन,सजके नव यौवन भोरी हो रसिया, होरी के रंग गोरी… ” गाकर श्रोताओं को मुग्ध किया।
श्री मणिकान्त झा ने अपनी जोरदार उपस्थिति हुड़ार महोत्सव में हाज़िर प्रिय जनों को जोगीरा में लपेटते हुये “आइए मनुख सॅ हुड़ार बनि गेला, रेवती रमण सच्चे धनवान बनि गेला जोगीरा सर रर जैसे जोगीरा सुनाया और होली खेलते भवानी शिवशंकर केर संग, लाले पहिरन लाले अभरण लाले गोयल रंग सुनाया। दीनानाथ जुवराज ने छुतहर मन कविता सुना कर तालिया बटोरी।
श्री कामेश्वर कुमार ओझा ने”कान्हा सा मन लेकर, राधा सा तन लेकर, शंकर की मस्ती भरके, द्वेष का हर तम हर के” प्रस्तुत किया।कविसम्ममेलन मे नरेश कुमार कुमार झा, प्रकाश चंद्र प्रभाकर, श्याम किशोर राम, रमण कुमार झा,हीरालाल सहनी, केशव कुमार ,विनोद कुमार लाल, डाॅ मनोज कुमार, आशीष अकिंचन, डॉक्टर सतीश चन्द्र भगत, अमिताभ कुमार सिन्हा, शंभु नारायण चौधरी आदि ने काव्य प्रस्तुत किया।
धन्यवाद ज्ञापन संगठन सचिव आशीष अकिंचन ने किया।