#MNN@24X7 दरभंगा, बोरलॉग इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशिया के प्रमुख डॉ राज कुमार जाट ने कृषि विज्ञान केंद्र जाले का भ्रमण कर जलवायु अनुकूल खेती परियोजना की जानकारी प्राप्त कीI इस क्रम में उन्होंने बताया कि जलवायु में हो रहे नित्य परिवर्तन का सीधा असर खेती किसानी के साथ-साथ पशुओं पर भी स्पष्ट देखा जा रहा हैI ऐसे में किसानों को लाभप्रद खेती करने के लिए जलवायु अनुकूल खेती ही विकल्प हैI इस्पात परियोजना में वैज्ञानिकों का जोर जल भूमि के संरक्षण , खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ उत्पादन लागत में कमी एवं उत्पादकता वृद्धि को सुनिश्चित करना हैI
ज्ञात हो की राज्य सरकार द्वारा कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से प्रदेश के सभी जिलों में विगत 4 वर्षों से जलवायु अनुकूल खेती परियोजना संचालित की जा रही हैI जिसके अंतर्गत जिले के पांच गांवों में कृषि विज्ञान केंद्रों के देखरेख में 625 एकड़ क्षेत्र में उन्नत तकनीक का प्रत्यक्षण कराया जा रहा हैI जिसका अच्छा परिणाम प्राप्त हो रहा हैI किसानों में जलवायु अनुकूल खेती से जुड़े तकनीकियों की जागरूकता पैदा हो रही हैI इस परियोजना के अंतर्गत जलवायु के नित आ रहे चुनौतियों का सामना करने के लिए शून्य जुताई विधि को प्रचारित प्रसारित किया जा रहा हैI जिससे किसानों को खेती में लागत की कमी हो रही हैI
वहीं काम जल में किसान खेती कर पा रहे हैं साथ ही तापमानों के उतार चढ़ाव से फसलों को बचाया जा पा रहा हैI वही निचली भूमि में रेज बेड तकनीक को प्रचारित प्रसारित किया जा रहा हैI इस प्रणाली में समय से फसलों की बुवाई पर विशेष जोर दिया जा रहा हैI धान की फसल में आ रही लागत को देखते हुए धान की सीधी बुवाई तकनीक को प्रचारित प्रसारित किया जा रहा हैI
इस क्रम में केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि अपने भ्रमण में डा जाट ने कृषि विज्ञान केंद्र प्रक्षेत्र में लगाए गए जलवायु अनुकूल परियोजनाओं के लंबे अवधि के प्रत्यक्षण इकाइयों का भ्रमण किया साथ ही वैज्ञानिकों के साथ उनके अनुभवों को साझा किया भविष्य की परियोजना की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा हुई है तथा कई महत्वपूर्ण निर्देश उनके द्वारा हम लोगों को दिया गया हैI परिचर्चा में डॉ राजकुमार जाट डॉ दिव्यांशु शेखर डॉक्टर प्रदीप विश्वकर्मा डॉ पवन शर्मा एवं डॉ चंदन कुमार ने भाग लियाI