#MNN24X7 दरभंगा विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन प्रमाण पत्र वितरण के साथ किया गया ।केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि किसान अगर खेती-बाड़ी के साथ-साथ मशरूम का उत्पादन करें तो उनके आय में वृद्धि हो सकती है ।

उन्होंने बताया कि देश में मशरूम उपभोक्ताओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसकी पूर्ति के लिए मशरूम उत्पादन की तकनीकी व प्रशिक्षण की अत्यंत आवश्यकता है ।
भारत में जलवायु विविधता होने के कारण अलग-अलग प्रकार के मशरूम जैसे बटन, ढिगरी, पुआल एवं दूधिया मशरूम का उत्पादन सरलता पूर्वक साल भर किया जा सकता है ।
प्रशिक्षण की संयोजिका डॉक्टर पूजा कुमारी ने बताया किइस प्रशिक्षण कार्यक्रम मेंदरभंगा जिले के विभिन्न प्रखंडों से जैसे – जाले, कमतौल, दरभंगा सदर, तारडीह से 30 ग्रामीण युवक एवं युवतियों नेभाग लिया ।प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने विभिन्न मशरूमों को लगाने की तकनीक,उनके कंपोस्ट बनाने की तकनीक, तथा उन में लगने वाले विभिन्न बीमारियों के बारे में विस्तृत रूप से जाना ।
पूजा कुमारी ने बताया कि भारत में उगने वाले मशरूम की दो सर्वाधिक आम प्रजातियां सफेद बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम है। हमारे देश में होने वाले सफेद बटन मशरूम का ज्यादातर उत्पादन मौसमी है। इसकी खेती परम्परागत तरीके से की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रशिक्षण से किसान एवं बेरोजगार लोग स्वरोजगार अपनाकर अपने व्यवसाय से अधिक से अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं ।साथ ही यह जानकारी भी दी कि मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षणार्थी सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं ।
प्रशिक्षण के दौरान डा . राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय,पूसा के प्रोफेसर डॉक्टर आर .पी . प्रसाद ने प्रशिक्षणार्थियों को अपने निर्देश में बटन मशरूम लगवाया ।डॉ प्रसाद ने मशरूम की खेती से होने वाले फायदे के बारे में भी किसानों को अवगत कराया तथा इसमें लगने वाली विभिन्न रोंगो तथा कीटों के बारे में भी किसानों को जानकारी दी । इस प्रशिक्षण में मुख्यतः बटन मशरूम की खेती के विषय में विशेष तौर पर जानकारी दी गई ।
साथ ही साथ किसानों को कंपोस्ट बनाना, कंपोस्ट बनाने में आने वाली सावधानियां,अच्छे कंपोस्ट के गुण,केसिंग के गुण, तथा फसल देखभाल के बारे में भी चर्चा की गई ।इसके अतिरिक्त मशरूम फार्म संरचना, मशरूम की बीमारियां एवं कीट प्रबंधन,सूत्रकृमि एवं माइट का प्रबंधन, मशरूम व्यंजन, मशरूम के मूल्य वर्धित उत्पाद तथा डिब्बाबंद इकाई आदि विषयों को भी व्यवस्थित ढंग से बताया गया । डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने औषधिय मशरूम की खेती कर अधिक से अधिक लाभ कमाने के विषय पर किसानों को जानकारी दी ।
कार्यक्रम में केंद्र अन्य सभी कर्मी उपस्थित रहे।
