#MNN24X7 दरभंगा कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर की अध्यक्षता में मृदा एवं जल अभियंत्रण विशेषज्ञ ई. निधि कुमारी एवं उद्यानिकी विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने जागरूकता सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जाले प्रखंड के धनकौल गांव में किया। ई. निधि बतलाया कि हर वर्ष 5 दिसंबर को विश्वभर में विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य मिट्टी के संरक्षण, मिट्टी की सेहत, और खाद्य सुरक्षा के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
विश्व मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?
मिट्टी जीवन का आधार है—खाद्य उत्पादन, पौधों की वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे आवश्यक संसाधन।मिट्टी का क्षरण (Soil Degradation) बढ़ रहा है, जिससे कृषि उत्पादन, पोषक तत्व और पर्यावरण प्रभावित हो रहे हैं।
किसानों और आम लोगों को मिट्टी परीक्षण (Soil Testing), कार्बन बढ़ाने, जैविक खेती और उर्वरक प्रबंधन के प्रति जागरूक करना।
2014 से संयुक्त राष्ट्र (UN) और FAO द्वारा आधिकारिक रूप से विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है। 5 दिसंबर की तारीख थाईलैंड के किंग भूमिबोल अदुल्यादेज़ के सम्मान में चुनी गई थी, जिन्होंने मिट्टी संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस वर्ष का थीम है स्वस्थ मिट्टी के शहरी लाभ
हर साल FAO एक नई थीम जारी करता है, जैसे—मिट्टी का पोषण,मिट्टी में कार्बन सुधार,मिट्टी का क्षरण रोकना,स्वस्थ मिट्टी → स्वस्थ भोजन।
ई निधि ने बतलाया कि किसानों को उर्वरक संतुलन और मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड की जानकारी देना,मिट्टी में जैविक पदार्थ (Organic Matter) बढ़ाने पर जोर,भूक्षरण (Soil Erosion) रोकने के उपाय,जल संरक्षण एवं भूमि प्रबंधन में सुधार,टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।मृदा स्वास्थ्य का अर्थ है– मिट्टी में पोषक तत्वों, जैविक पदार्थ, नमी, सूक्ष्म जीव और संरचना का संतुलन।
स्वस्थ मिट्टी से फसल उत्पादन बढ़ता है, लागत घटती है और भूमि लंबे समय तक उपजाऊ रहती है। इस अवसर पर ई. निधि ने बतलाया कि मृदा स्वास्थ्य सुधारने के मुख्य उपायों में नियमित मिट्टी परीक्षण, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग (NPK Balance),जैविक खाद, कंपोस्ट, हरी खाद का उपयोग,फसल चक्र (Crop Rotation),अवशेष प्रबंधन (Residue Management), नमी संरक्षण तकनीक है। इसके अलावे मिट्टी परीक्षण (Soil Testing),मिट्टी की पोषण स्थिति जानने और उर्वरकों का सही एवं संतुलित उपयोग करने के लिए मिट्टी की जांच बहुत जरूरी है।
मिट्टी परीक्षण क्यों करें, इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने ने बतलाया कि उर्वरक लागत 20–30% तक कम होती है एवं सही मात्रा में खाद डालने से उत्पादन बढ़ता है। इस अवसर पर डॉ. प्रदीप ने बतलाया कि मिट्टी में कौन सा पोषक तत्व कम या अधिक है, इसकी जानकारी खेती में बहुत ही महत्वपूर्ण है। मृदा जांच से मिट्टी की pH, कार्बन, NPK, माइक्रोन्यूट्रिएंट की जानकारी मिलती है। मिट्टी का नमूना कैसे लें इस पर भी विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि खेत को 4–5 भागों में बाँटकर हर हिस्से से नमूना लें।15–20 सेमी गहराई से मिट्टी लें एवं 8–10 स्थानों की मिट्टी मिलाकर एक मिश्रित नमूना बनाएं।500 ग्राम सूखी मिट्टी पैकेट में भरें
नमूने पर किसान नाम, गांव, खसरा नंबर, पहले की हुई फसल का नाम आदि लिखें। मिट्टी जाँच किए बिना खेती करने से खेत को तो नुकसान होता ही है साथ साथ किसानों की खेती के खर्च में भी अनावश्यक बढ़ोतरी होती है। इस कार्यक्रम में 32 किसानों ने हिस्सा लिया।
