#MNN24X7 दरभंगा, मिथिला लेखक मंच के तत्वावधान में “मिथिला सँ होइत पलायन आऽ समाधान” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. योगानंद झा ने की, जबकि संचालन चन्द्रेश द्वारा किया गया।

संगोष्ठी में वक्ताओं ने मिथिला से लगातार बढ़ रहे पलायन को गंभीर चिंता का विषय बताया। प्रोफेसर उदय शंकर मिश्र ने कहा कि “मिथिला की दो-तिहाई आबादी पलायन कर चुकी है।” उन्होंने आरोप लगाया कि 1990 से 2005 तक की सरकारों ने पेपर मिल, जूट मिल, चीनी मिल, सूता मिल जैसे उद्योग बंद करवा दिए और 2005 से 2025 तक की सरकारों ने इन्हें दोबारा चालू नहीं किया। उन्होंने कहा कि विकास-विरोधी नीतियों के खिलाफ जनांदोलन तेज कर इन मिलों को पुनः चालू करवाया जाए तथा खेती-बाड़ी और छोटे उद्योगों को पुनर्जीवित किया जाए, तभी पलायन रुक सकेगा।

श्री चन्द्रेश ने बताया कि मिथिला लेखक मंच का वार्षिक अधिवेशन 1 फरवरी 2026 को आयोजित होगा। उन्होंने कहा कि मिथिला से पलायन रुकेगा तभी मिथिला राज्य का विकास संभव है।

संगोष्ठी में मेजर एन. के. साहु ने कविता के माध्यम से पलायन की पीड़ा को उठाया तथा माता-पिता के कष्टों का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि “भुख के लिए हो रहल पलायन अब अविलंब बंद होवाक चाही।”

अध्यक्षीय संबोधन में डा. योगानंद झा ने कहा कि “पाँच किलो अनाज और दस हजार रुपये में वोट बेचने वाली जनता आंदोलन खड़ा नहीं कर सकती।” उन्होंने जोर दिया कि जब तक पलायन बंद नहीं होगा, मिथिला का कल्याण संभव नहीं।

कार्यक्रम में सुभाष झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मौके पर बौबी, गौड़ीशंकर, अंकित चौधरी सहित कई साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।