किसी दूसरे को ठीक करने से बेहतर है कि हम खुद को पहले ठीक करते हुए अपने कार्यक्षेत्र एवं जीवन में संतुलन बनाएं- कुलपति।
यदि हमारे अंदर क्षमता हो तो हम स्थिति बदल दें, पर यदि नहीं हो तो स्थिति के अनुसार ही अवश्य काम करते रहें- बी के शैफाली।
#MNN@24X7 दरभंगा, आज संसार में कोई भी पूर्णतया प्रसन्न नहीं हो सकते हैं। जब हम अपने घर की शादी- विवाह या पर्व- त्यौहारों में प्रसन्न होते हैं तो थकते नहीं है। आजकल हमलोग कार्य से ज्यादा उसके परिणाम पर ज्यादा ध्यान देते हैं, इसलिए हमेशा खुश नहीं हो पाते हैं। उक्त बातें मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में जुबली हॉल में आयोजित “कार्यक्षेत्र एवं जीवन में संतुलन” विषयक विशेष व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कही।
कुलपति ने कहा कि किसी दूसरे को ठीक करने से बेहतर है कि हम खुद को पहले ठीक करते हुए अपने कार्यक्षेत्र एवं जीवन में संतुलन बनाएं। जब हम अपने पिता प्रपिता के क्रम में आगे बढ़ते हैं तो परमपिता तक पहुंचाते हैं, जिनके प्रति क्रमशः हमारी श्रद्धा बढ़ती ही जाती है। हम सब परमपिता की ही संतान हैं जो हम सब की रक्षा और कल्याण करते हैं। हम अपनी सूक्ष्म चेतना को जागृत कर जीवन में संतुलन बनाएं। उन्होंने आज के दिन को याद रखने योग्य ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ईश्वरीय विश्वविद्यालय की 5000 शाखाएं देश- विदेश में कार्यरत हैं, जिनका संचालन बिना किसी पद या लाभ के बहनें करती हैं। कुलपति ने प्रसन्नता व्यक्त किया कि उन्हें इस विश्वविद्यालय के मुख्यालय माउंट आबू में जाने और बोलने का मौका मिला है।
मुख्य वक्ता के रूप में बहन बी के शैफाली ने कहा कि हम जीवन भर अपने कार्यों से मुक्त नहीं हो सकते। हम सब जीवन जीना चाहते हैं और बेहतर जीवन के लिए ज्यादा मेहनत करना पड़ता है। जीवन में जब हम आगे बढ़ते हैं तो हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ती हैं। बिना कार्य किये कुछ भी प्राप्त होना असंभव है। बिल्कुल आरामदेह जीवन भी संभव नहीं है। यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम काम के लिए जीते हैं या जीने के लिए काम करते हैं।
बहन शैफाली ने कहा कि यदि हमारे अंदर क्षमता हो तो हम स्थिति बदल सकते हैं, पर यदि स्थिति नहीं बदल सकते तो हमें उसी के अनुसार अवश्य काम करते रहना चाहिए। यदि हम अपनी इच्छा एवं क्षमतानुसार काम करते हैं तो आनंद का अनुभव आवश्यक होता है। हर व्यक्ति की अपनी क्षमता एवं विशेषता होती है। यदि हम अपने प्रोफेशनल कार्यों में आनंदित होते हैं तो जीवन में संतुलन बना रहता है। हम दूसरों से अपनी तुलना न करें, क्योंकि इससे जो हमारे पास है उनसे हम खुश नहीं रह पाते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें स्वीकार करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति आदर्श नहीं होता है। जीवन भर हममें सुधार होती रहती है। अपने को सदा सही मानने वाले या तारीफें सुनने वाले में अहंकार आ जाता है। परिस्थिति के अनुसार एक ही बातें कहीं सही तो कहीं गलत हो सकती हैं। वह व्यक्ति ज्यादा खुश रहता है जो हर परिस्थिति में खुद को संतुलित रखता है। सच्ची सफलता यह नहीं है कि दुनिया में किसकी ज्यादा पूछ है, बल्कि असली सफलता उसकी है जो विपरीत परिस्थिति में भी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ता है। हमें अपने जीवन का लक्ष्य स्वयं तय करना चाहिए, न कि दूसरों के कहने पर।
बहन शैफाली ने कहा कि हमारा जो समय मोबाइल आदि पर व्यर्थ जाता है, उसे बचाकर अपने जीवन, परिवार तथा समाज के लिए लगाना चाहिए। हमारा शरीर नहीं, बल्कि हमारा विचार हमें थका देता है। हमें परिस्थिति के अनुसार अपने बड़े लक्ष्य के साथ ही छोटे लक्ष्य भी बनाने चाहिए। सबकी क्षमता, व्यक्तित्व एवं परिस्थिति अलग- अलग होती है। हमें खुश रहने के लिए न कहना भी आना चाहिए। यदि हमारा पूरा ध्यान अपने पर होता है तो हमें दूसरों की बुराई देखने का मौका नहीं मिलता है। हमें अपनी छोटी- छोटी सफलताओं एवं कार्यों में खुशी अनुभव करना चाहिए। हर कार्य को करने का आनंद उठाना चाहिए, न की प्रतियोगिता। हमारे पास शिकायतों की सूची से कहीं बड़ी खुशियों की सूची होती है। इंसान की शक्ति सीमित, पर ईश्वर की असीमित होती है। वे हमेशा हमारी मदद के लिए तैयार रहते हैं।
कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जबकि अतिथि स्वागत शॉल एवं पुष्पगुच्छ से किया गया। इस अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से अपने तीन वर्ष के कार्यकाल को पूरा कर रहे कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह का अभिनंदन चादर, पुष्पगुच्छ तथा स्मृतिचिह्न आदि से किया गया। बहन शैफाली ने सामूहिक रूप से ध्यान- धारण का अभ्यास कराया। बीके सुधाकर के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में प्रभारी कुलसचिव प्रो अरुण कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय की ओर से धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में पचाढी मठ के प्रमुख राम उदित राय उर्फ मौनी बाबा की भी गरिमामयी उपस्थिति रही, जबकि बीके आरती, बीके बद्रराज, बीके रितु, बीके शिम्पी, प्रो अजयनाथ झा, प्रो सुरेन्द्र कुमार, प्रो मुनेश्वर यादव, प्रो अनीश अहमद, डा आनंद मोहन मिश्र, डा गजेन्द्र प्रसाद, डा आर एन चौरसिया, डा अंकित कुमार, डा अयाज अहमद, डा मनोज कुमार, डा रुद्रकान्त अमर, डा ख्वाजा सलाहउद्दीन, छायाकर संजय कुमार महतो तथा सैयद मो जमाल अहमद सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।