#MNN@24X7 कल दिनांक 16 फरवरी 2023 सुबह साढ़े दस बजे विश्ववेश्वर सिंह जनता महाविद्यालय राजनगर में मैथिली विभाग द्वारा “मैथिली अनुवाद साहित्य : दशा ओ दिशा” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आरंभ हुआ। उद्घाटन सत्र का आरंभ महाराज विश्वेश्वर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ।
महाविद्यालय सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में नवीन मंच का उद्घाटन प्रोफेसर रमण झा द्वारा हुआ।आमंत्रित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के पश्चात छात्राओं ने गोसाउनिक गीत एवं स्वागत गीत गाया।सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर जीवानन्द झा सर ने किया। स्वागत भाषण मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. राजकुमार राय सर ने किया। बीज वक्तव्य प्रोफेसर रमण झा ने दिया।
सत्र की मुख्य अतिथि चेतना समिति की अध्यक्ष निशा मदन झा ने अपने वक्तव्य में छात्राओं को अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश दिया। मुख्य वक्ता के रूप में साहित्य अकादमी के अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत साहित्यकार प्रदीप बिहारी ने अनुवाद के सैद्धांतिक व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए इसमें कैरियर की संभावनाओं से श्रोताओं को अवगत कराया। सारस्वत अतिथि डॉ. फूलो पासवान की डोगरी से अनूदित पुस्तक का विमोचन हुआ।
चेतना समिति के उपाध्यक्ष अरुण कुमार झा ने अपने वक्तव्य में राजनगर महाविद्यालय के इतिहास को संक्षेप में बताते हुए इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य मिहिर कुमार झा समेत समस्त शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं, गैर शैक्षणिक सदस्यों की उपस्थिति रही। महाविद्यालय के संस्थापक शिक्षको में से एक सुखदेव राउत की भी गरिमापूर्ण उपस्थिति रही।
धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.बिभा कुमारी ने किया। प्रथम तकनीकी सत्र के अध्यक्ष डॉ. केष्कर ठाकुर, मुख्य वक्ता प्रोफेसर नारायण झा रहे। संचालन डॉ. बिभा कुमारी का रहा। द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर दमन कुमार झा ने की। मुख्य वक्ता प्रोफेसर फूलो पासवान रहे। संचालन डॉ. पंकज कुमार का रहा। दोनों सत्रों का पर्यवेक्षण निक्की प्रियदर्शिनी ने किया। तृतीय सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने मिथिला समेत सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति को अपने कार्यक्रम में प्रस्तुत किया। इस प्रकार संगोष्ठी का प्रथम दिवस अत्यंत सफल रहा।