-कुलपति की अध्यक्षता में पाठ्यक्रम निर्माण से संबंधित अध्यादेश एवं विनियमन तैयार करने हेतु गठित समिति की हुई बैठक।
-मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु राजभवन एवं राज्य सरकार को पत्र भेजने पर बनी सहमति।
#MNN@24X7 दरभंगा। आज यदि हम पाठ्यक्रम में बदलाव की बात सोचते हैं तो हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप ही कार्य करना चाहिए। यह आवश्यक भी है, क्योंकि देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति या तो लागू हो चुका है या लागू करने की दिशा में अग्रसर है।
उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को शैक्षणिक सत्र 2023-24 से स्नातक स्तर पर च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण से संबंधित अध्यादेश एवं विनियमन तैयार करने हेतु गठित समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
कुलपति महोदय ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार अगले सत्र से स्नातक पाठ्यक्रम को च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत तैयार कर लागू करना समीचीन प्रतीत नहीं होता है। वर्ष 2015ईं में ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लागू करने का प्रस्ताव दिया था, किन्तु अब तक हमलोग इस दिशा में आगे नहीं बढ़े। अब यदि अगले सत्र से नये पाठ्यक्रम स्नातक स्तर पर तैयार हो तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप होना छात्र एवं राज्य के लिए लाभकारी होगा। इसके लिए सभी सदस्यों को जल्द से जल्द सीबीसीएस अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करने पर जोर देना चाहिए। ताकि, तय समय के भीतर पाठ्यक्रम बनकर तैयार रहें। अंत में गठित समिति के सभी सदस्यों में इस संदर्भ में मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु राजभवन एवं राज्य सरकार को पत्र भेजने पर सहमति बनी। ज्ञातव्य हो कि पाठ्यक्रम निर्माण हेतु प्रत्येक विश्वविद्यालय विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति बनाई गई है। इसकी समेकित बैठक दिनांक 12.01.2023 को प्रस्तावित है।
बैठक में सीबीसीएस अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण से संबंधित अध्यादेश एवं विनियमन तैयार करने हेतु गठित समिति के सदस्य के रूप में सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो. जितेंद्र नारायण, विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो.एस.के.वर्मा, मानवीकि के संकायाध्यक्ष प्रो. ए.के. बच्चन, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग के प्राचार्य प्रो.अशोक कुमार मेहता, विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. दिवाकर झा और विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में डॉ. अवनि रंजन सिंह शामिल थे।