#MNN@24X7 दरभंगा, आज दिनांक 25.05.2023 को विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० चन्द्रभानु प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में PAT -2021-22 के नवचयनित शोधार्थियों की विधिवत शुरुआत दीक्षारम्भ-सत्र के साथ हुआ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो० चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने नए शोधार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि चूँकि इस बार शोधार्थियों की संख्या ज्यादा है इसी लिए शोधार्थियों को दो ग्रुपों में बांटा जाएगा। शोध के विविध आयामों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस कोर्स की अवधि छह महीने की होगी। एक शोधार्थी के पास शोध दृष्टि का होना बहुत आवश्यक है और यह शोध दृष्टि ही एक बेहतर अनुसंधान कार्य सम्पन्न कराती है।
प्रो० सिंह ने कहा कि दोनों पत्रों में उत्तीर्ण होने के लिए दोनों पत्रों में प्रति पत्र 55 अंक लाना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी कहा कि आज घिसे-पिटे विषयों पर ही ज्यादा शोध कार्य हो रहे हैं, जबकि जरूरत है कि मौलिक शोध कार्य किये जायें। साहित्यिक चोरी पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। उन्होंने शोधार्थियों को सचेत किया कि आपकी वजह से शोध निर्देशकों की जान भी सांसत में रहती है। अपनी वाणी को विराम देते हुए उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वर्ग में प्रतिदिन उपस्थित होना बहुत आवश्यक है, अन्यथा भविष्य में बहुत मुश्किल होगी।
इस अवसर पर डॉ० आनन्द प्रकाश गुप्ता ने कहा कि आज का दिन बहुत मंगलकारी है। क्योंकि आज से आप सभी इस विश्वविद्यालय के महत्त्वपूर्ण अंग हो गए हैं। डॉ० गुप्ता ने कहा कि अब सभी शोधार्थियों को 3 वर्ष तक निरन्तर विभाग में उपस्थित होकर शोध कार्य करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि विभाग मर्यादा, संयम और अनुशासन से चलता है और आप सभी से यह अपेक्षा रखी जायेगी कि आप इसका पालन करेंगे। डॉ० गुप्ता ने अपनी वाणी को विराम देते हुए दोनों पत्रों के पाठ्यक्रम की सम्पूर्ण जानकारी दी।
इस अवसर पर विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ० मंजरी खरे ने सभी नवागंतुक शोधार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। डॉ० खरे ने कहा कि हमारा शोधकार्य समाज को बेहतर बनाने में अगर सहायक होता है तभी शोध कार्य का महत्त्व है अन्यथा प्रतिदिन पीएचडी की डिग्री बांटी जा रही है जिसकी कोई उपयोगिता नहीं है।
इस अवसर पर सहायक प्राध्यापक डॉ० शंकर कुमार ने कहा कि यह दीक्षारम्भ वर्ग बहुत उपयोगी है। क्योंकि यहीं एक मजबूत नींव पड़ती है जिससे आप शोध की दिशा में सकारात्मक ढंग से अग्रसर होते हैं। वरीय शोधप्रज्ञ कृष्णा अनुराग और शोध प्रज्ञा ज्योति कुमारी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे और नए शोधार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।