-घर जाकर टीबी मरीज की होगी खोज
-टीबी कार्यक्रम में सहयोग के लिए मधुबनी को ब्रॉन्ज मेडल, के लिए नाम हुआ प्रस्तावित
-केंद्र सरकार के द्वारा प्रति वर्ष टीबी उन्मूलन में बेहतर कार्य करने के लिए जिलों के यक्ष्मा विभाग व राज्य स्वास्थ्य विभाग को पुरस्कृत किया जाता है.

मधुबनी/6 जनवरी। राष्ट्रीय टीबी मुक्त अभियान के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रमों में बेहतर कार्य करने पर सब नेशनल सर्टिफिकेट के अंतर्गत मधुबनी जिले को का चयन किया गया है जिसके लिए जिला स्तरीय सब नेशनल सर्टिफिकेट के लिए कम्युनिटी वॉलिंटियर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण राज्य स्तर से आए प्रशिक्षक डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट डॉ.राजीव एन व डॉ.कुमार गौरव के द्वारा दिया गया.

प्रशिक्षण के उपरांत कर्मियों के द्वारा घर घर जाकर टीबी मरीजों की खोज की जाएगी. बेहतर प्रदर्शन करने पर यक्ष्मा विभाग को ब्रॉन्ज श्रेणी के लिए चयनित किया जा सकता है विदित हो कि इसके लिए राज्य के मधुबनी सहित 12 अन्य जिले का चयन किया गया है. डीपीसी पंकज कुमार ने बताया प्रति वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा टीबी उन्मूलन में बेहतर कार्य करने के लिए जिलों के यक्ष्मा विभाग व राज्य स्वास्थ्य विभाग को पुरस्कृत किया जाता है.

स्वास्थ्य विभाग ने दरभंगा प्रमंडल के तीनों जिलों मधुबनी दरभंगा समस्तीपुर सहित बेगूसराय, भागलपुर,बक्सर, गया, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सारण तथा सिवान जिले का नाम प्रस्तावित कर केंद्र सरकार को भेजा दिया है.

टीबी मरीजों का सर्वे करेगी टीम:

डीपीसी पंकज कुमार ने बताया स्वास्थ्य कर्मियों व केंद्र सरकार की टीम के द्वारा जिले के 10 प्रखंड के 10 गांव में हाउस टू हाउस सर्वे करेगी तथा प्रति प्रखंड कम से कम 3 मरीजों को चिन्हित करेगी. या चिन्हित प्रखंड के 5% जनसंख्या का सर्वे किया जाएगा इसके लिए जिला स्तर के कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. प्रशिक्षण के बाद चिन्हित प्रखंडों में टीबी मरीजों के संबंध में सर्वे किया जायेगा.

क्या कहते हैं संचारी रोग पदाधिकारी :

सीडीओ डॉक्टर जीएम ठाकुर ने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. यह आम जन के सहयोग के बिना संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने सभी से टीबी रोगी खोजी अभियान में सहयोग करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सीने में दर्द होना, चक्कर आना, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमी और वजन कम होना आदि लक्षण यदि किसी में है तो कैंप में जाकर टीबी की जांच करानी चाहिए. अधिक से अधिक लोग टीबी के लक्षणों के बारे में जानें और अपने आसपास रहने वाले लोगों में यदि इनमें में से कोई भी लक्षण दिखे तो जांच के लिए प्रेरित करें. इससे हमें अपने लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी.

निक्षय मित्र बन टीबी रोगियों से निभाएं सच्ची मित्रता:

डॉ. ठाकुर ने कहा कि टीबी रोग के उन्मूलन में सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान अपनी मजबूत भागीदारी निभा सकते हैं. इसके लिए सरकार ‘निक्षय मित्र’ बनने का मौका दे रही है. अभियान के तहत ‘निक्षय मित्र’ बनने वाले व्यक्ति या संस्थान मरीजों को पोषण, डायग्नोस्टिक और रोजगार के स्तर पर मदद कर उनसे सच्ची मित्रता निभा सकते हैं.उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और जिला यक्ष्मा केंद्र ने अपील की है कि ‘निक्षय मित्र’ बनकर टीबी रोगियों की सहायता करने का संकल्प लें. इसके तहत कोई भी सामान्य नागरिक, जनप्रतिनिधि, राजनीतिक दल, गैर सरकारी संस्थान, कॉर्पोरेट संस्थान ‘निक्षय मित्र’ बनकर टीबी रोगियों की मदद कर सकते हैं. पोषण, जांच और रोजगार से जुड़ी मदद कर टीबी मुक्त जिला बनाने में अपना योगदान कर सकते हैं.

प्रशिक्षण में डीपीसी पंकज कुमार, सतनारायण शर्मा,अनिल कुमार, भुवन नारायण कंठ, मोहम्मद अमीरूद्दीन, सत्यनारायण शर्मा,लैब टेक्निशियन, एसटीएस, एसटीएलएस मौजूद रहे।