विश्वविद्यालय में नवनिर्मित एडवांस रिसर्च सेन्टर का बाइलॉज तैयार कर शीघ्र ही बुनियादी सुविधाओं के साथ बनाया जाएगा फंक्शनल- कुलसचिव।

#MNN@24X7 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित एडवांस रिसर्च सेन्टर तथा केन्द्रीय पुस्तकालय में स्थापित लैबों के कोऑर्डिनेटर्स एवं निदेशकों की एक महत्वपूर्ण बैठक कुलपति कार्यालय में हुई, जिसमें कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक़ अहमद, एडवांस रिसर्च सेन्टर के प्रोफेसर इंचार्ज प्रो सुरेन्द्र कुमार, केन्द्रीय पुस्तकालय के निदेशक प्रो दमन कुमार झा, आइक्यूएसी के निदेशक डा मो ज्या हैदर, लैंग्वेज लैब के कोऑर्डिनेटर प्रो ए के बच्चन, ऑडियो- वीडियो लैब के कोऑर्डिनेटर डा आर एन चौरसिया, रिमोट सेंसिंग लैब के कोऑर्डिनेटर डा मन्नू राज शर्मा, स्टैटिकल लैब के कोऑर्डिनेटर डा यादवेन्द्र सिंह, हाई कंप्यूटेशनल लैब के कोऑर्डिनेटर डा पूजा अग्रवाल तथा आई टी सेल के मुकुंद माधव आदि उपस्थित थे।

कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने बताया कि एडवांस रिसर्च सेन्टर एवं केन्द्रीय पुस्तकालय में स्थापित सभी लैबों के लिए बाइलॉज बनाकर शीघ्र ही बुनियादी व्यवस्थाओं के साथ इन लैबों को फंक्शनल बनाया जाएगा। इन लैबों के खुलने का समय, शिक्षकों, शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था, निर्धारित प्रवेश पत्र के द्वारा प्रवेश कराने की व्यवस्था तथा दूसरे विश्वविद्यालयों के लोगों के लिए प्रवेश के नियम आदि बनाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यह एडवांस रिसर्च सेन्टर बिहार का प्रथम सेन्टर है, जिसमें विज्ञान, मानविकी, समाजविज्ञान, पुस्तकालय विज्ञान तथा कंप्यूटर आदि सहित विभिन्न विषयों के छात्र-छात्राएं लाभान्वित होंगे। ई- लाइब्रेरी में एक सौ कंप्यूटरों के साथ लैब है, जहां किताबें तथा पत्रिकाएं आदि उपलब्ध हैं। इनमें बाहरी व्यक्तियों को बिना अनुमति का प्रवेश नहीं दिया जाएगा, जबकि अपने विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों तथा छात्रों के लिए प्रवेश के नियम बनाए जा रहे हैं।

कुलसचिव ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर सिंह के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के लिए एडवांस रिसर्च सेन्टर तथा केन्द्रीय पुस्तकालय की ई-लाइब्रेरी आदि में अध्ययन अनिवार्य किया जाएगा। कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में दो स्तरीय कार्य हुए हैं, जिनमें विकासात्मक के साथ ही शैक्षणिक कार्य भी तेज गति से हुए हैं। उन्होंने बताया कि शोध कार्य संपादन से पूर्व प्रत्येक शोधार्थी को अपने पर्यवेक्षक के साथ दो स्तरीय शोध आलेखों को यूजीसी केयर लिस्ट अथवा रेफर्ड जर्नल में प्रकाशित कराना अनिवार्य है। वहीं यूजीसी के मापदंड के अनुसार शोध प्रबंधों को शोधगंगा पर भी डाला जाएगा।