#MNN@24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र, जाले में राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड के द्वारा राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत एक दिवसीय “किसान उत्पादक संगठन सह किसान प्रशिक्षण” का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का नेतृत्व केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने किया। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) योजना के अंतर्गत किसानों को खेतीबाड़ी के लिए खाद, बीज, कीटनाशक, सिंचाई तथा कृषि उपकरण और बैंक से ऋण लेना आदि विषयों के बारे में कृषकों को बताना था।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, दरभंगा के जिला विकास प्रबंधक राज नंदिनी उपस्थिति रही। कार्यक्रम की संचालिका डॉ अंजली सुधाकर ने आए हुए अतिथियों का पुष्पगुच्छ के साथ स्वागत किया साथ ही जाले मखाना एवं सिंघवाड़ा मक्का कृषक उत्पादक संगठन के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम की शुरुआत डीडीएम नाबार्ड राज नंदिनी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने एफपीओ से जुड़ी अहम जानकारियां किसानों के साथ साझा की। उन्होंने बताया कि एफपीओ लघु व सीमांत किसानों का एक समूह होता है, जिससे जुड़े किसानों को न सिर्फ अपनी उपज का बाजार मिलता है, बल्कि खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण आदि खरीदना भी आसान होता है।

उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र जेल के द्वारा चलाई जा रही मखाना और मक्का एफपीओ के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि इस एफपीओ से छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों को मदद मिलेगी। इसके माध्यम से एफपीओ के सदस्य, संगठन के तहत अपनी गतिविधियों का प्रबंधन कर सकेंगे।

केंद्र के पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉक्टर गौतम कुणाल ने खरीफ मौसम में बोई जाने वाली फसलों के प्रबंधन के विषय पर आए हुए कृषकों को बताया। कृषकों से संवाद के दौरान उन्होंने बताया कि इन दिनों खेतों में कई प्रकार की रोग व समस्याएं देखने को मिल रही है। जिनका समय रहते प्रबंध करना अति अनिवार्य हैं नहीं तो बाद में यह रोग व कीड़े फसलों की उत्पादन को बाधित करेगी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में धान का पर्णच्छद अंगमारी या शीथ ब्लाइट रोग कृषकों के खेतों में अपना पैर पसार रहा है। जिसकी अगर उग्रता बधाई तो उपज में 25% तक के नुकसान को हो सकती है। इस रोग के संक्रमण से पत्तियां मुरझा जाती है या सूख जाती हैं और तेजी से मरने लगती है। रोग के प्रारंभ में अंडाकार या ब्रिजवृत्तीय हरे रंग के घाव आमतौर पर पत्ती के बयान (लीफ सीथ) दिखाई देते हैं।अनुकूल परिस्थितियां में यह घाव कई गुणा बढ जाते है और पत्तियों के ऊपरी हिस्से तक फैल जाते हैं। इस रोग के प्रबंधन हेतु थाईफ्लूजामाइड 24% SC नामक फफूंदनासि का 15 मिली लीटर प्रति 15 लीटर पानी में या हेक्साकोनाजोल 5% SC का 30 मिली लीटर प्रति 15 लीटर पानी में या प्रॉपिकॉनाजोले 25% ईसी का 1 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में या वेलिडामाइसीन नामक दवा का 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना लाभप्रद होगा।

कृषि विज्ञान केंद्र, सीतामढ़ी के पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विशेषज्ञ डॉक्टर किंकर ने मवेशियों में लंपी वायरस के कारण हो रही बीमारी का जिक्र करते हुए बताया कि यह बीमारी विषाणु जनित होता है। इस रोग का संचरण / फैलाव / प्रसार पशुओ में मक्खी एंव मच्छरों के काटने से होता है। अतः मवेशियों के रहने वाली घरों को साफ सुथरा करके रखना चाहिए और उनकी निरंतर निगरानी करनी चाहिए ताकि इस रोग के संक्रमण से बचा जा सके।

केंद्र के विशेषज्ञ डॉक्टर जगपाल ने मछली पालन से जुड़ी जानकारियां साझा की। कार्यक्रम के दौरान शुभम राय और मुरारी प्रसाद केंद्र में उपस्थित सभी कृषकों से आभासी माध्यम से जुड़े और उन्हें “ई नाम” के माध्यम से ऑनलाइन मार्केटिंग के बारे में बताया।कार्यक्रम के दौरान केंद्र की विशेषज्ञ पूजा कुमारी राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड मधुबनी के प्रभारी संजय विश्वकर्मा, यमुनाप्पा आदि समेत केंद्र के सभी सहकर्मी उपस्थित रहें।