-सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज के सहयोग से विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगाया गया वाटिका।

-लगाए जा रहे मौसमी सब्जियों, फल व सहजन के पौधे।

#MNN@24X7 मधुबनी/22 सितंबर, राष्ट्रीय पोषण माह के तहत पोषण से संबंधित कई तरह की गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया गया जा रहा है. लोगों को पोषण के लिए जागरूक करने के साथ-साथ कुपोषण को दूर करने की दिशा में काम किया जा रहा है। कुपोषण को दूर करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देश पर जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका (किचन गार्डन) की शुरुआत की जा रही है।

इसके लिए सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज ( सी -3) आंगनबाड़ी केंद्रों पर किचन गार्डन तैयार कर रहा है। योजना का संचालन राजनगर पंडौल तथा रहिका प्रखंड के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर किया जा रहा है. अगले चरण में जिले के अन्य आंगनवाड़ी केंद्रों पर भी किचन गार्डन का निर्माण किया जाएगा. योजना का मुख्य उद्देश्य पूरक पोषाहार के माध्यम से जिले से कुपोषण दूर करने का है। जिससे लाभार्थी बच्चों व महिलाओं को विटामिन और मिनरल्स मिलेगा।

लगाए जा रहे मौसमी सब्जियों, फल व सहजन के पौधे :

सी -3 के जिला समन्वयक रघुनाथ प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि पोषण माह के दौरान जिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर भूमि की उपलब्धता है, वहां पर पोषण वाटिका एवं किचन गार्डन का निर्माण कराया जा रहा है। सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर मौसमी सब्जियों, फल( आम,केला,कटहल ) एवं सहजन के पौधा लगाए जा रहे हैं। इस योजना से बच्चों को पौष्टिक खाना मिलेगा। केंद्रों पर आने वाले बच्चों एवं महिलाओं को दिए जाने वाले भोजन में इस किचन गार्डन की ही सब्जी का उपयोग करेंगे।

किचन गार्डन के फायदे:

किचन गार्डन से आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को सही न्यूट्रीशन की प्राप्ति होगी अगर बच्चा सुपोषित होगा तो बच्चा दिमागी स्तर मजबूत होगा जिससे बच्चे स्वस्थ होंगे और जीवन खुशहाल होगा. किचन गार्डन में लगाए गए सब्जी जैसे सहजन को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है क्योंकि सहजन को 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा माना गया है. इसकी नर्म पत्तियां और फल, दोनों ही सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं.

सहजन की फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्‍प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है.जिससे रोग प्रत‍िरोधक क्षमता मजबूत होती है. कैल्‍श‍ियम में भरपूर होने की वजह से साइटिका, गठिया में सहजन का उपयोग बहुत ही फायदेमंद होता है. सुपाच्‍य होने की वजह से सहजन लि‍वर को स्वस्थ रखने में भी ये बहुत कारगर होता है.

क्या कहते हैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के आंकड़े:

जिले में 5 सालों में कुछ उपलब्धियां भी हासिल की है पोषण को सुधार करने को लेकर जो प्रयास किए गए हैं उसका परिणाम है कि कई सूचकांकों में बढ़ोतरी हुई है जिसके तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 ( वर्ष 2015-16 ) में जहां 63.2 % महिलाएं बच्चों को स्तनपान करा पाती थी वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 ( वर्ष 2019-20 ) में 74.6% महिलाएं बच्चों को स्तनपान करा रही हैं ऊपरी आहार की बात करें तो 6 मार्च से 23 मार्च तक के 8.7% बच्चे को ही पर्याप्त आहार मिलता था वहीं अब 13.4 प्रतिशत बच्चे को पर्याप्त आहार मिल रहा है जिस में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिले में 5 साल तक के बच्चे के बोनेपन में भी कमी आई है वर्ष 2015 -16 में जहां 51.08% बच्चे बौने थे वहीं वर्ष 2019 20 में यह आंकड़ा घटकर 43.3 हो गया है वही 5 साल तक के बच्चे के कम वजन के आंकड़े को देखें तो वर्ष 2015-16 में 45.4% बच्चे कम वजन थे वहीं वर्ष 2,019- 20 में 36% बच्चे अंडरवेट हैं.

सेविकाएं व सहायिका भी उठाएंगी इसका लाभ:

पोषण अभियान के जिला समन्वयक स्मित प्रतीक सिन्हा ने बताया कि पोषण वाटिका व किचन गार्डन के निर्माण संचालन एवं उसके तकनीकी पहलुओं की जानकारी के साथ-साथ खाद्य विविधता के महत्व एवं पोषक तत्व के बारे में लोगों को विस्तृत रूप से जानकारी दी जा रही है। योजना का लाभ केंद्रों के लाभार्थी ही नहीं, बल्कि आंगनबाड़ी सेविकाएं स्वयं अपने परिवार को पोषण युक्त आहार उपलब्ध की कमी को दूर कर सकती हैं।